छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया है कि चैतन्य को घोटाले से 16.70 करोड़ रुपए की अवैध रकम मिली और उन्होंने करोड़ों की ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट कर सफेद दिखाने की कोशिश की। इतना ही नहीं, आरोप है कि उन्होंने सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की कैश हेंडलिंग और हेरफेर की।
ED की रिमांड और आरोप
शुक्रवार को गिरफ्तार किए जाने के बाद चैतन्य को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 22 जुलाई तक 5 दिन की ED कस्टडी में भेजा।
ED की रिमांड एप्लीकेशन में आरोप है कि –
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घोटाले की रकम रियल एस्टेट में खपाई गई।
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फर्जी निवेश और नकली ट्रांजेक्शन दिखाकर कैश को वैध बनाया गया।
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1000 करोड़ से ज्यादा कैश का हेरफेर किया गया।
1000 करोड़ की ब्लैक मनी की कहानी
पूछताछ में शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल ने खुलासा किया कि उसने और चैतन्य बघेल ने मिलकर 1000 करोड़ से ज्यादा रकम को मैनेज किया।
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यह कैश पहले अनवर ढेबर से दीपेन चावड़ा और फिर रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचा।
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पप्पू बंसल ने बताया कि सिर्फ 3 महीने में उसे 136 करोड़ रुपए मिले।
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उसके अनुसार 100 करोड़ रुपए नकद केके श्रीवास्तव को दिए गए, यह रकम भी चैतन्य की जानकारी में थी।
बघेल डेवलपर्स प्रोजेक्ट में पैसा
ED का कहना है कि विठ्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में 13-15 करोड़ रुपए घोटाले से जोड़े गए।
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रिकॉर्ड में केवल 7.14 करोड़ दिखाए गए।
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डिजिटल साक्ष्यों में ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट सामने आया, जिसे बहीखातों में दर्ज नहीं किया गया।
फर्जी फ्लैट खरीद का खेल
जांच में सामने आया कि कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने अपने कर्मचारियों के नाम पर 19 फ्लैट खरीदे, जिनकी कीमत 5 करोड़ थी।
लेकिन असल पेमेंट खुद ढिल्लो ने किया।
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सभी ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन में हुए।
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यह पूरा सौदा ब्लैक मनी को वैध दिखाने के लिए किया गया था।
नकली लोन और प्लॉट खरीद
ED के अनुसार भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य को 5 करोड़ का उधार दिया। बाद में वही ज्वेलर्स बघेल की कंपनी से 80 लाख के 6 प्लॉट खरीदता है।
एजेंसी का आरोप है कि यह पैसा असल में शराब घोटाले से आया कैश था, जिसे बैंक ट्रांजेक्शन से वैध दिखाया गया।
फ्रंट कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग
ED का दावा है कि घोटाले की रकम को ट्रैक से बचाने के लिए कई फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल किया गया।
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ढिल्लो सिटी मॉल और ढिल्लो ड्रिंक्स के जरिए कर्मचारियों को पैसे भेजे गए।
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फिर वही रकम बघेल डेवलपर्स तक पहुंची।
कुल मिलाकर, चैतन्य तक 16.70 करोड़ की अवैध रकम पहुंची।
अनवर ढेबर की चैट और रिकॉर्डिंग
ED वकील सौरभ पांडे के अनुसार, अनवर ढेबर की चैट और रिकॉर्डिंग से चैतन्य का नाम सामने आया।
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पप्पू बंसल के बयान में भी पुष्टि हुई कि घोटाले का पैसा चैनलाइज होकर अंततः चैतन्य तक पहुंचा।
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पैसा पहले अनवर ढेबर से दीपेंद्र चावड़ा, फिर केके श्रीवास्तव और कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के जरिए आगे बढ़ता था।
बचाव पक्ष का तर्क
चैतन्य के वकील फैज़ल रिज़वी ने गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताया।
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उनका कहना है कि चैतन्य को अब तक न समन मिला, न ही बयान दर्ज हुआ।
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मार्च में हुई रेड में उन्होंने सभी दस्तावेज और डिवाइस एजेंसी को सौंपे थे।
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“गिरफ्तारी का कारण सिर्फ यह है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं।”
क्यों मांगी 5 दिन की हिरासत?
ED का कहना है कि –
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पैसों की लेयरिंग और निवेश की जांच करनी है।
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सिंडिकेट से आमने-सामने पूछताछ जरूरी है।
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डिजिटल सबूतों की पुष्टि करनी होगी।
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चैतन्य की भूमिका बतौर कोऑर्डिनेटर सामने आई है।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला क्या है?
इस घोटाले में ED ने ACB की FIR के आधार पर जांच शुरू की थी। इसमें 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी का आरोप है।
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IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर मुख्य आरोपी बताए गए।
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घोटाले को तीन हिस्सों में बांटा गया था:
A. डिस्टलरी संचालकों से कमीशन वसूली।
B. नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों में बेचना।
C. खाली बोतलें व फर्जी रिकॉर्ड से शराब सप्लाई दिखाना।
ED का दावा है कि सिर्फ 40 लाख पेटियां नकली शराब बेची गईं, जिससे हजारों करोड़ की अवैध कमाई हुई।