भारतीय परिवेश में हिन्दी का महत्व विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी
खंडवा। हिन्दी भाषा में वह मधुरता है,सहजता, सरलता और स्पष्टता हैं इसी लिए हिंदी भाषा विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाये हुए हैं। उक्त विचार भारतीय लोकहित साहित्य एवं संस्कृति एकेडमी तथा अखिल हिन्दी साहित्य सभा द्वारा आयोजित भारतीय परिवेश में हिन्दी का महत्व विषय पर संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप श्रीलंका से पधारी निदेशक हिन्दी संस्थान कोलंबो भारतीय दुतावास प्राध्यापक डा.अतिला कोतलावल ने कहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता मप्र.शासन में अपर मुख्य सचिव सेवा निवृत्त श्री जे एन कांसोटिया ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप मे मंचासिन साहित्यकार शिक्षिका डा.मंजु पांडे नैनीताल उत्तराखंड,गीता पैट्रिक हापुड उप्र, डा.श्वेता चौधरी इंदौर मप्र.सरोजिनी नायडू स्कूल शिक्षिका श्रीमती मरावी, गोपाल मोरे, एमसी अहिरवार साहित्यकार, डा.आरआर वामनकर अध्यक्ष दुष्यंत कुमार सभागृह रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर हुई। अतिथियों का स्वागत भारतीय लोक हित साहित्य एवं संस्कृति एकेडमी अध्यक्ष केबी मंसारे एवं छगन गौतम, पन्ना लाल गोलकर विश्वकर्मा भोपाल, दीपमाला बामने, जगदीश मालवीय ने किया। विचार रखते हुए डा.मंजु पांडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के साथ दुनिया के अन्य देशों में भी हिन्दी की पहचान है। महिला जागृति फाउंडेशन की गीता पैट्रिक ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है आप साहित्यकार भारत की प्रथम महिला शिक्षिका के महान कार्य को अपनी कलम से जन जन तक पहुंचा सके। मौके पर साहित्यकार साथियों तथा एनजीओ स्वयं सेवी संस्था के प्रतिनिधियों को शाल श्रीफल पुष्प गुच्छ और प्रशस्ति पत्र तथा मोमेंटो स्मृति चिन्ह के साथ सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय कवि रमेश चंद्र चांगेसिया ने सरस्वती वंदना कर संचालन किया। कवि कृष्णपाल सिंह राजपूत ने सहयोग किया। राजेश मालवीय देवास,तथा डा विरेन्द्र दुबे,राजकुमार विश्वकर्मा को,मंच से सम्मानित किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में साहित्यकार साथियों ने सहभागिता की। धन्यवाद आभार के साथ समापन हुआ।