दिल्ली लोक निर्माण विभाग (PWD) पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आरोप है कि विभाग ने सर्वोच्च अदालत के साफ़ आदेशों का उल्लंघन करते हुए मैनुअल सीवर सफाई कराई। और ये काम किसी और जगह नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के गेट-F के ठीक बाहर हुआ।
मामला क्या है?
18 सितंबर को सुनवाई के दौरान सामने आया कि पीडब्ल्यूडी ने मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के नालों की सफाई के लिए लगाया। हैरानी की बात ये थी कि मजदूरों के साथ एक नाबालिग को भी इस काम में झोंक दिया गया।
याद रहे, मैनुअल सीवर सफाई पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रतिबंधित है और नाबालिगों से काम कराना बाल श्रम कानून के तहत अपराध है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी नाराज़गी
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कोर्ट ने कहा कि जुर्माना राशि एक महीने के अंदर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में जमा करानी होगी।
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चेतावनी दी गई कि अगली बार नियम तोड़े गए तो सीधे एफआईआर दर्ज होगी।
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अदालत ने कहा, “मजदूरों को बिना सुरक्षा उपकरण के लगाना अस्वीकार्य है, अधिकारियों को अब सतर्क हो जाना चाहिए।”
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
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न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की बेंच ने मामला सुना।
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न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने बताया कि 2023 में दिए गए निर्देशों की खुलेआम अनदेखी की गई है।
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उन्होंने बताया कि मजदूरों को बिना सुरक्षा गियर लगाए काम कराया गया और पुलिस भी कार्रवाई करने से पीछे हट गई।
परमेश्वर ने कहा – “यह सिर्फ श्रम कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि कोर्ट की अवमानना है। विभाग कहता है कि सब कुछ नियमों के अनुसार हुआ, लेकिन असलियत इसके उलट है।”
PWD का बचाव और कोर्ट की प्रतिक्रिया
पीडब्ल्यूडी की ओर से वकील ने तर्क दिया कि यह काम केवल खुले नालों से गाद निकालने का था और इसमें किसी तरह का खतरा नहीं था।
इस पर कोर्ट ने नाराज़गी जताई और कहा –
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“20 अक्टूबर 2023 को दिए गए आदेशों का पालन नहीं हुआ।”
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“ठेकेदारों पर न सख्ती हुई, न ब्लैकलिस्ट किया गया।”
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“लगता है अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं।”
कोर्ट ने साफ़ कहा कि अगर अगली बार कोई दुर्घटना हुई तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सीधी FIR होगी।
क्यों है मामला गंभीर?
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मजदूरों से मैनुअल सीवर सफाई कराना पहले से ही प्रतिबंधित।
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बिना सुरक्षा गियर मजदूरों की जान खतरे में डालना।
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बाल मजदूरी कानून का उल्लंघन।
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कोर्ट आदेश की अवमानना।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम साफ़ संकेत है कि अब मैनुअल सीवर क्लीनिंग को लेकर कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभागों और अधिकारियों को नियमों का पालन करना ही होगा, वरना अगली बार सज़ा और भी कड़ी होगी।