छत्तीसगढ़ में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) संविदा कर्मचारियों की हड़ताल एक महीने से लगातार जारी है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि शाम 5 बजे तक कर्मचारी काम पर नहीं लौटते, तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी और सोमवार से नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
अब तक की कार्रवाई
सरकार पहले ही कई जिलों में कदम उठा चुकी है।
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सूरजपुर में 594 कर्मचारी बर्खास्त कर दिए गए।
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बलौदाबाजार और कोरबा में 200 कर्मचारी हटाए गए।
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सिर्फ बलौदाबाजार में 160 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
इसके बावजूद कर्मचारी अपने आंदोलन पर डटे हुए हैं और अब रायपुर में “जेल भरो आंदोलन” की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें लगभग 10,000 कर्मचारियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है।
दुर्ग जिले की स्थिति
दुर्ग जिले के सीएमएचओ डॉ. मनोज दानी ने बताया कि जिले में 800 से ज्यादा NHM कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें अधिकांश हड़ताल में शामिल हैं। उनकी अनुपस्थिति से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
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टीकाकरण
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जननी सुरक्षा योजना
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मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएं
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नियमित स्वास्थ्य जांच
इन सब पर असर पड़ा है। फिलहाल विभाग ने जीवनदीप समिति और जिला खनिज न्यास (DMF) के कर्मचारियों की मदद से सेवाएं जारी रखी हैं, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं माना जा रहा।
कर्मचारी और सरकार आमने-सामने
कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगें हैं। इनमें से 5 पर सरकार मौखिक सहमति जता चुकी है, लेकिन बाकी 5 पर कोई ठोस लिखित आश्वासन नहीं दिया गया। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें केवल लिखित गारंटी चाहिए।
मुख्य मांगों में शामिल हैं:
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नियमितीकरण (परमानेंट करने की मांग)
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वेतन विसंगति दूर करना
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सेवा शर्तों में सुधार
वहीं, स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि लगातार हड़ताल से जनता परेशान है, इसलिए प्रशासनिक मजबूरी में कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं।
अब सबकी नज़र स्वास्थ्य मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर
NHM कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा कि उनकी गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से सकारात्मक बातचीत हुई है। अब सभी मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें हड़ताल से जुड़े बड़े फैसले की उम्मीद है।
इस तरह, छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी सीमित संसाधनों के सहारे चल रही हैं और हड़ताल का समाधान फिलहाल मंत्री के ऐलान पर निर्भर है।