छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा कर्मचारी पिछले एक महीने से नियमितीकरण समेत 10 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। सरकार ने पहले ही 16 सितंबर तक स्ट्राइक खत्म करने का अंतिम नोटिस जारी किया था, लेकिन कर्मचारी झुके नहीं।
अब स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने शुक्रवार शाम 5 बजे तक हड़ताल समाप्त करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि तय समय तक काम पर नहीं लौटे तो सभी कर्मचारियों की सेवाएं खत्म कर दी जाएंगी और सोमवार से नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
गुरुवार को बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर संभाग के करीब 10 हजार कर्मचारियों ने नया रायपुर में ‘जेल भरो आंदोलन’ किया। प्रशासन ने राजेश्वर मैदान को करीब डेढ़ घंटे तक अस्थायी जेल में बदल दिया था। इसके बाद कर्मचारियों के नाम और हस्ताक्षर दर्ज करके उन्हें रिहा किया गया।
33वें दिन भी जारी इस आंदोलन में सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए अब तक हजारों कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। 17 सितंबर को सूरजपुर जिले में 594 कर्मचारियों की सेवाएं खत्म की गईं, जबकि 16 सितंबर को बलौदाबाजार और कोरबा जिले से 200 लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
कर्मचारियों की 10 मांगें
कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अड़े हैं। इनमें से 5 पर सरकार मौखिक सहमति दे चुकी है, मगर बाकी मांगों पर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि केवल आश्वासन नहीं, बल्कि लिखित आदेश चाहिए।
NHM संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित कुमार मिरी ने बताया कि आंदोलन के बाद बातचीत के संकेत मिले हैं और जिन कर्मचारियों को निकाला गया है उनकी बहाली की मांग भी रखी गई है।
सामूहिक इस्तीफों की झड़ी
सरकार की कार्रवाई से पहले ही हजारों NHM कर्मचारी सामूहिक इस्तीफे दे चुके हैं। दुर्ग में 850, रायपुर में 1600 और रायगढ़ में 500 कर्मचारियों ने इस्तीफा सौंपा है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी संकट खड़ा हो गया है।
अनोखे तरीके से विरोध
18 अगस्त से चल रही इस हड़ताल में कर्मचारी अलग-अलग ढंग से विरोध दर्ज करा रहे हैं। कहीं खून से खत लिखे गए, तो कहीं पैरोडी गानों और डांस के जरिए सरकार को घेरा गया। धमतरी में छत्तीसगढ़ी गानों पर डांस किया गया, बिलासपुर में मुंडन कराया गया और रायपुर में प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन केक काटकर मनाया गया।
स्वास्थ्य सेवाएं ठप
लंबी हड़ताल के चलते प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में प्रसव, ओटी, पैथोलॉजी जांच, एक्स-रे, सोनोग्राफी और टीकाकरण जैसी सेवाएं ठप हो गई हैं। गंभीर मरीजों को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। हालात देखते हुए नियमित कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
राजनीतिक हलचल
NHM आंदोलन को लेकर सियासत भी गरमा गई है। भाजपा सांसद विजय बघेल और बृजमोहन अग्रवाल ने कर्मचारियों की मांगों को जायज ठहराया है। वहीं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने माना कि कांग्रेस ने अपने वादे पूरे नहीं किए, जिसकी वजह से चुनाव में हार मिली।
क्यों उठा विवाद
कर्मचारियों का आरोप है कि भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र में संविदा कर्मचारियों को 100 दिनों के भीतर नियमित करने का वादा किया था। लेकिन 20 महीने बीतने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई। यही वजह है कि आंदोलन की शुरुआत चरणबद्ध तरीके से हुई और अब यह राज्यव्यापी संकट का रूप ले चुका है।