–शब्दसाधक आचार्य हमसबके आदर्श-डॉ महेश शर्मा
–“सरयू प्रवाह” शताब्दी समारोह सम्पन्न
भिलाई : ‘आचार्य सरयू कान्त झा बड़े ही सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी थे। साहित्य,संस्कृति, समाजसेवा और राष्ट्रप्रेम को वे समर्पित थे। इस छत्तीसगढ़ महतारी के सपूत ने राज्य स्थापना आन्दोलन में भी बड़ी भूमिका निभाई।’ ये उद्गार हैं वरिष्ठ शिक्षाविद् और साहित्यकार आचार्य बालचन्द्र सिंह कछवाह के। वे सरयू कान्त झा जन्मशताब्दी समारोह के मुख्य अतिथि की आसन्दी से साहित्य प्रेमियों को सम्बोधित कर रहे थे। आचार्य सरयू कान्त झा स्मृति संस्थान रायपुर द्वारा ” सरयू प्रवाह” के द्वारा प्रथम व्याख्यानमाला का भव्य आयोजन किया गया। साहित्य विमर्श और परिसंवाद के इस कार्यक्रम में पूरे छत्तीसगढ़ और रायपुर के साथ दुर्ग-भिलाई से भी अनेक साहित्यसेवियों ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज़ की। इस्पात नगरी के साहित्य-संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ महेशचन्द्र शर्मा ने इस गरिमामय समारोह की अध्यक्षता की। डॉ. शर्मा ने इस दौरान कहा कि आचार्य पं.सरयूकान्त वेद, रामायण और गीता के ज्ञाता एवं मेरे प्रेरणास्रोत थे। अपने से छोटों को सदा बढ़ावा देना उनका स्वभाव था। उनके व्यक्तित्व में एक रचनात्मक आकर्षण था। उनके कृतित्व में इसका प्रतिबिम्ब दिखाई देता था। संस्थान के सचिव और उनके सुपुत्र पं. शारदेन्दु झा ऐसे कार्यक्रमों द्वारा पितृऋण और गुरुऋण से मुक्त का अच्छा प्रयास कर रहे हैं। विशेष अतिथि एवं इतिहासविद्, पुरातत्ववेत्ता और संस्कृति के ज्ञाता डॉ.रमेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि सरयू कान्त झा के द्वारा विविध संस्थाओं में दिये व्याख्यानों की कैसेट्स संग्रहित कर उनपर पुस्तकें तैयार करना चाहिये। ताकि लोग उन्हें याद करते हुये प्रेरणा लें।
साहित्य-संगीत मर्मज्ञ और बहुभाषाविद् डॉ चित्तरंजन कर ने कहा कि आचार्य झा छात्रों के लिये बहुत दयालु थे। दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति की अध्यक्ष सरला शर्मा ने आचार्य सरयू कान्त द्वारा शिक्षा के विस्तार के लिये किये प्रयासों की सराहना करते हुये अनुकरणीय बताया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध कवि संजीव ठाकुर ने किया। आयोजकों द्वारा अतिथियों को शॉल-पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। संस्थान के सचिव पं.शारदेन्दु झा ने आयोजन की भूमिका रखी और कहा कि व्याख्यानमाला आगे भी जारी रहेगी।आभार ज्ञापन हरीश झा ने किया। पूरे कार्यक्रम के दौरान संस्थान के अध्यक्ष पं.शिव कुमार झा एवं अन्य पदाधिकारी गण श्रीमती दिव्या झा, प्रदीप ठाकुर, पुष्यमित्रा झा, शशिमित्रा झा, विजय कुमार लाड, सविता झा, अनीता झा, कुमुद लाड, उदय भान सिंह एवं नितिन झा समेत बड़ी संख्या में साहित्य रसिक आनन्द लेते रहे।