आज दिल्ली के विज्ञान भवन में साल 2023 की फिल्मों को सम्मानित करने के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी आयोजित हो रही है। शाम 4 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विजेताओं को नेशनल अवॉर्ड प्रदान करेंगी।
इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण है— साउथ इंडस्ट्री के मेगास्टार मोहनलाल को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा जाना। वहीं, पहली बार शाहरुख खान को भी उनके करियर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिलने जा रहा है। लेकिन रानी मुखर्जी और ‘द केरल स्टोरी’ को मिले अवॉर्ड्स ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
द केरल स्टोरी पर अवॉर्ड से पहले ही विवाद
सुदिप्तो सेन निर्देशित फिल्म द केरल स्टोरी को बेस्ट डायरेक्शन का नेशनल अवॉर्ड मिला है। लेकिन इसके ऐलान के साथ ही राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री दोनों में हलचल मच गई।
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केरल के सीएम पिनराई विजयन ने कहा कि इस फिल्म को अवॉर्ड देना एक खास विचारधारा को बढ़ावा देना है और यह राज्य का अपमान है।
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कांग्रेस नेता वी.डी. सतीशन और राज्य के कई मंत्रियों— साजी चेरियन, के.एन. बालगोपाल, वी. सिवनकुट्टी और पी.ए. मोहम्मद रियाज— ने भी इसका विरोध किया।
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यहां तक कि ज्यूरी मेंबर प्रवीण नायर ने भी इंटरव्यू में इसे प्रोपेगैंडा फिल्म बताया और कहा कि उन्होंने इसके पक्ष में वोट नहीं दिया था।
याद दिला दें, इस फिल्म के ट्रेलर में दावा किया गया था कि केरल की 32 हजार महिलाएं इस्लाम धर्म अपनाकर ISIS में शामिल हुईं। विरोध के बाद यह आंकड़ा घटाकर 3 कर दिया गया। फिल्म पर ‘लव जिहाद’ का नैरेटिव बढ़ावा देने का आरोप लगा और यह पश्चिम बंगाल में बैन भी हुई थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी।
रानी मुखर्जी और शाहरुख की जीत पर भी सवाल
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फिल्म मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे के लिए रानी मुखर्जी को करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड मिला।
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वहीं शाहरुख खान को भी बेस्ट एक्टर का खिताब मिला।
लेकिन मलयाली एक्ट्रेस उर्वशी (फिल्म ओलूझक्कू की बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस) ने इस फैसले पर सवाल उठाए।
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उन्होंने कहा कि बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड उन्हें मिलना चाहिए था, न कि रानी को।
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उन्होंने यह भी कहा कि बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर विजय राघवन, शाहरुख से ज्यादा इस सम्मान के हकदार थे।
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उर्वशी का आरोप है कि इन अवॉर्ड्स में ट्रांसपेरेंसी की कमी है और ज्यूरी किन पैरामीटर्स पर चयन करती है, यह साफ नहीं है।
नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स का सफर
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शुरुआत 1954 में हुई, तब इन्हें “स्टेट अवॉर्ड फॉर फिल्म्स” कहा जाता था।
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पहला पुरस्कार डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने दिया था।
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उस समय सिर्फ तीन कैटेगरी थीं—
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बेस्ट फीचर फिल्म: श्यामची आई
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बेस्ट डॉक्यूमेंट्री: महात्मा गांधी
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बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म: जागृति
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1968 में इनका नाम बदलकर नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स कर दिया गया।
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आज ये भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माने जाते हैं।
निचोड़
जहां एक ओर शाहरुख और रानी की जीत उनके करियर के लिए माइलस्टोन है, वहीं द केरल स्टोरी को अवॉर्ड दिए जाने से खड़ा हुआ विवाद यह दिखाता है कि नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स सिर्फ कला का मंच नहीं, बल्कि राजनीति और समाज के बीच टकराव का आईना भी बन चुके हैं।