तुलसी का महत्व
तुलसी का पौधा सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि औषधीय गुणों और सजावट के लिए भी भारतीय घरों में रखा जाता है। हर कोई चाहता है कि घर की तुलसी हमेशा ताजा और हरी-भरी बनी रहे, लेकिन कई बार पूरी देखभाल के बावजूद यह बार-बार मुरझा जाती है। असल में इसका कारण अक्सर पौधे की गलत देखभाल या लापरवाही होती है। तुलसी एक नाजुक पौधा है, और थोड़ी-सी गलती भी इसे कमजोर कर सकती है।
तुलसी सूखने के 4 मुख्य कारण
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अत्यधिक पानी देना
तुलसी को नम मिट्टी पसंद है, लेकिन अधिक पानी डालने से जड़ें सड़ने लगती हैं। पानी की अधिकता से जड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुँचती और पौधा धीरे-धीरे मुरझाने लगता है। इसलिए केवल तब पानी दें जब मिट्टी हल्की-सी सूखी लगे। गमले में ड्रेनेज का सही इंतजाम होना भी जरूरी है ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकल सके। -
सीधी धूप की कमी
तुलसी सूरज की रोशनी में ही स्वस्थ रहती है। लंबे समय तक छांव में रहने पर इसके पत्ते पीले पड़ जाते हैं और पौधा कमजोर होकर सूखने लगता है। रोजाना कम से कम 4-5 घंटे सीधी धूप देना ज़रूरी है। खिड़की या बालकनी इसका सबसे अच्छा स्थान है। -
गलत मिट्टी का चयन
भारी और चिकनी मिट्टी में पानी जल्दी सूखता नहीं, जिससे जड़ें डैमेज हो जाती हैं। तुलसी के लिए हल्की, रेतीली और जैविक खाद युक्त मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। समय-समय पर मिट्टी को ढीला करना चाहिए ताकि जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे। -
खाद और पोषण की कमी
तुलसी को नियमित पोषण की आवश्यकता होती है। लंबे समय तक खाद न देने से पत्तियां छोटी हो जाती हैं और पौधा कमजोर पड़ने लगता है। हर 15-20 दिन में गोबर की खाद, कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट देना चाहिए। इससे पौधा मजबूत और हरा-भरा बना रहता है।
निष्कर्ष
तुलसी को हरा-भरा और स्वस्थ बनाए रखने के लिए इन चार कारणों को समझना और सुधारना बेहद जरूरी है। उचित पानी, पर्याप्त धूप, सही मिट्टी और पोषण के साथ आप अपने तुलसी के पौधे को लंबे समय तक ताजा और हरा-भरा रख सकते हैं।