भारतीय वायुसेना से मिग-21 विमान की विदाई होने जा रही है। 26 सितंबर को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन में इसका विशेष विदाई समारोह होगा। इस समारोह में एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा मिग-21 को उड़ा सकते हैं।
24 सितंबर को इस समारोह की रिहर्सल भी हो चुकी है। समारोह में मिग-21 के अलावा जगुआर और स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस (LCA MK-1) भी शामिल होंगे।
मिग-21 का परिचय और इतिहास
मिग-21 जेट भारतीय वायुसेना में 1963 में शामिल हुआ था। यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था, यानी यह आवाज की गति (लगभग 332 मीटर प्रति सेकेंड) से तेज उड़ सकता है।
1965 और 1971 की जंगों में मिग-21 ने कारगिल युद्ध सहित कई ऑपरेशन में दुश्मनों को पछाड़ा। आज के आधुनिक टेक्नोलॉजी के हिसाब से इसके पंख अब बूढ़े हो गए हैं।
62 साल का अद्भुत सफर
मिकोयन ग्युरेविच, जिसे आप मिग-21 के नाम से जानते हैं, चंडीगढ़ से करीब 6 दशक तक जुड़ा रहा।
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जनवरी 1963 में पहला बेड़ा बॉम्बे पहुंचा और सोवियत इंजीनियर्स ने इसे असेम्बल किया।
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अप्रैल 1963 में चंडीगढ़ लाया गया। पहली उड़ान में साउंड बैरियर टूट गया।
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2 मार्च 1963 को नंबर 28 स्क्वाड्रन का गठन हुआ।
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1965 और 1971 की जंगों में 8 स्क्वाड्रन्स तैयार हुईं।
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60 के दशक में नंबर 45 स्क्वाड्रन ने पायलट्स के लिए प्राइमरी ट्रेनिंग दी।
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कारगिल युद्ध में चंडीगढ़ ट्रेंड स्क्वाड्रन्स ने एयर डिफेंस और स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई।
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विंग कमांडर अभिनंदन भी इसी स्क्वाड्रन से जुड़े।
मिग-21 को कभी ‘उड़ता ताबूत’ और ‘विडो मेकर’ कहा गया। 400 से ज्यादा विमान क्रैश हुए, जिसमें 200 से अधिक पायलट मारे गए।
मिग-21 के हादसे
2021 से 2023 के बीच 7 बार मिग-21 क्रैश हो चुका है:
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5 जनवरी 2021: राजस्थान, सूरतगढ़ – पायलट सुरक्षित।
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17 मार्च 2021: मध्य प्रदेश, ग्वालियर – पायलट की मृत्यु।
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20 मई 2021: पंजाब, मोगा – पायलट की मौत।
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25 अगस्त 2021: राजस्थान, बाड़मेर – पायलट बच गए।
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25 दिसंबर 2021: राजस्थान – पायलट की जान गई।
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28 जुलाई 2022: राजस्थान, बाड़मेर – दो पायलट्स की मौत।
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8 मई 2023: राजस्थान, हनुमानगढ़ – पायलट सुरक्षित।
अंतिम विदाई
मिग-21 अब नए विमानों जैसे सुखोई, राफेल और तेजस के लिए रास्ता दे रहा है। नंबर 23 स्क्वाड्रन इसकी आखिरी उड़ान भरेगी। UAV (ड्रोन) के लिए इसे टारगेट या डिकॉय के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
62 साल की सेवा में मिग-21 ने भारतीय वायुसेना का गौरव बढ़ाया। अब समय है इसे सम्मान के साथ अलविदा कहने का।
टच द स्काई विद ग्लोरी… जय हिंद!