दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कह दिया है कि तिहाड़ जेल परिसर से आतंकी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें नहीं हटाई जाएंगी। विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से यह याचिका दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि इन आतंकियों की कब्रों को जेल से हटाकर किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित किया जाए।
बुधवार को इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव की बेंच ने सुनवाई की। लेकिन कोर्ट ने दो टूक कहा –
“किसी की इच्छा के मुताबिक जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती।”
कोर्ट के सख्त सवाल
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सीधा सवाल किया –
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तिहाड़ में इन आतंकियों की कब्र बने रहने से आपके कौन से मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है?
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किस कानून या नियम का उल्लंघन हो रहा है?
इन सवालों का कोई ठोस जवाब न मिलने पर कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया और आखिरकार याचिकाकर्ता ने खुद ही याचिका वापस ले ली।
क्या है मामला?
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अफजल गुरु: संसद हमले का दोषी, जिसे 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।
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मकबूल भट्ट: कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का संस्थापक, जिसे 1984 में फांसी हुई थी।
दोनों की कब्रें तिहाड़ जेल परिसर में बनी हुई हैं। हिंदू संगठन ने इन्हें “आतंकी स्मारक” बताते हुए हटाने की मांग की थी, लेकिन अब कोर्ट के रुख से साफ है कि फिलहाल इन कब्रों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।