भारतीय सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमता मजबूत करने के लिए ‘अनंत शस्त्र’ मिसाइल प्रणाली के 5-6 रेजिमेंट खरीदने का निर्णय लिया है। यह स्वदेशी परियोजना पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं पर हवाई सुरक्षा को नई ताकत देगी। कुल सौदे की कीमत 30,000 करोड़ रुपए है, और इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को सप्लाई के लिए चुना गया है।
अनंत शस्त्र: विकास और क्षमता
पहले इसे QRSAM (Quick Reaction Surface to Air Missile) के नाम से जाना जाता था। यह कम से मध्यम दूरी तक हवाई सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है और पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है।
-
मारक क्षमता: लगभग 30 किलोमीटर
-
लक्ष्य ट्रैकिंग: गतिशील लक्ष्यों को पहचानने और ट्रैक करने की क्षमता
-
ऑपरेशन: दिन और रात दोनों समय में कार्यशील
-
प्रतिक्रिया समय: कम समय में लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता
सीमाओं पर तैनाती
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह मिसाइल प्रणाली पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान) और उत्तरी सीमा (चीन) पर तैनात की जाएगी। यह कदम मई में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद उठाया गया है, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को नाकाम करने में बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
सेना की मौजूदा वायु रक्षा और अनंत शस्त्र का योगदान
वर्तमान में भारतीय सेना MRSAM, आकाश, L-70, Zu-23 जैसी प्रणालियों का इस्तेमाल करती है, जो वायु सेना की स्पाइडर और S-400 सुदर्शन प्रणालियों के साथ समन्वय में काम करती हैं।
अनंत शस्त्र के आने से:
-
तुर्की और चीनी ड्रोन खतरों से निपटने की क्षमता बढ़ेगी।
-
नई राडार प्रणाली, VSHORAD, जैमर और लेज़र-आधारित हथियार भी सेना को मिलेंगे।
स्वदेशीकरण को नई गति
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बल में स्वदेशी उपकरणों को प्राथमिकता देने की नीति को आगे बढ़ाया है। भविष्य में शामिल होने वाले स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स में ज़ोरावर लाइट टैंक और अन्य वायु रक्षा प्रणालियां भी शामिल होंगी।