कोरबा में एक आरक्षक को जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, जिसके बाद परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान परिजनों को लगा कि आरक्षक जीवित है और वे उसे दोबारा निजी अस्पताल ले गए। हालांकि, वहां डॉक्टरों ने फिर से उसे मृत घोषित कर दिया। मामला उरगा थाना क्षेत्र का है। दरअसल मृत घोषित किए जाने के बाद परिजन बॉडी घर ले गए थे। परिजनों के मुताबिक, बॉडी में हलचल हुई और गर्म हो गया था, जिससे उन्हें लगा कि वह जिंदा है।
सीने में दर्द के बाद अस्पताल पहुंचे थे
कोरबा एसपी कार्यालय में पदस्थ आरक्षक कृष्ण कुमार खरिया (34 साल) भैसमा बगबुड़ा का रहने वाला था। शनिवार (27 सितंबर) दोपहर अचानक उनके सीने में दर्द हुआ, जिसके बाद वे अपने एक साथी के साथ जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। इलाज के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई।
डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद, शव परिजनों को सौंप दिया गया। परिजन शव को उनके गृहग्राम भैसमा बगबुड़ा ले गए और रात भर घर में रखा। रविवार सुबह अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी, तभी परिजनों को लगा कि कृष्ण कुमार की सांसें चल रही हैं और उनका शरीर गर्म है।
यह महसूस होने पर परिजनों ने उन्हें तत्काल कोरबा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद एक बार फिर कृष्ण कुमार को मृत घोषित कर दिया। इस घटना से पुलिस विभाग और गांव में हड़कंप मच गया।
हलचल हुई और बॉडी गर्म हो गई थी – परिजन
मृतक के भाई देव खरिया ने बताया कि रात में अचानक कृष्ण कुमार के शरीर में हलचल हुई और वह गर्म हो गया, जिससे उन्हें लगा कि वह जीवित है।
कोरबा सीएसपी भूषण एक्का ने पुष्टि की कि आरक्षक की कल इलाज के दौरान मौत हो गई थी, लेकिन परिवार को लगा कि वह जिंदा है और उसे अस्पताल ले गए, जहां उसे दोबारा मृत घोषित कर दिया गया। शव का पंचनामा कर पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है।
आरक्षक कृष्ण कुमार खरिया तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। पिता की मौत के बाद वे घर के मुख्य जिम्मेदार व्यक्ति थे। उनके परिवार में बूढ़ी मां, दो भाई, पत्नी और दो बेटियां हैं, जिनकी उम्र 9 और 6 साल है। कृष्ण कुमार 2013 बैच में भर्ती हुए थे। इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर है।