वीडियो कॉल ठगी करने वाले 10 साल की जेल:दुर्ग कोर्ट ने 41 लाख ठगने वाले को सुनाई सजा,CBIअधिकारी बनकर वकील से की थी ठगी

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दुर्ग जिला अदालत ने साइबर ठगी और आर्थिक अपराधों पर सख्त रुख दिखाया है। कोर्ट ने वीडियो कॉल के जरिए 41 लाख रुपए ठगने वाले मनीष दोसी को दो अलग-अलग मामलों में 10-10 साल के कठोर कारावास और 2 लाख रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसके अलावा शेयर हड़पने के मामले में विमल कुमार शाह को भी तीन साल के सश्रम कारावास की सजा मिली है।

यह मामला जनवरी 2023 का है, जब हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी बघेरा निवासी अधिवक्ता फरिहा अमीन कुरैशी को एक वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर दिल्ली के एचडीएफसी बैंक में एक खाता है, जिसमें 8 करोड़ 7 लाख रुपए जमा हैं।

41 लाख रुपए ट्रांसफर किए

आरोपियों ने फरिहा पर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी और पहचान की चोरी जैसे गंभीर आरोप लगाए। उन्हें धमकी दी गई कि अगर तुरंत सहयोग नहीं किया गया तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस डर के कारण फरिहा ने 22 जनवरी से 4 फरवरी के बीच अलग-अलग किस्तों में आरटीजीएस के माध्यम से कुल 41 लाख रुपए आरोपियों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए।

असरफ खान को किया बरी

रकम मिलने के तुरंत बाद, आरोपियों ने अपना फोन बंद कर दिया। पीड़िता ने 5 फरवरी को दुर्ग कोतवाली में इस धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की जांच के बाद गुजरात निवासी मनीष दोसी और असरफ खान को आरोपी बनाया गया। असरफ खान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि उसकी जमानत अर्जी पहले ही खारिज हो चुकी थी।

इन धाराओं के तहत मिली सजा

प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश शेख अशरफ की अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद मनीष दोसी को भारतीय न्याय संहिता की धारा 317(3) और 61(2) के तहत दोषी पाया। कोर्ट ने उसे 10-10 साल के कठोर कारावास और 2 लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक पंकज बेलचंदन ने पैरवी की।

शेयर को धोखाधड़ी में सजा

दूसरे मामले में शेयर को धोखाधड़ी से अपने नाम करने वाले आरोपी विमल कुमार शाह को भी कोर्ट ने तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

परिवादी प्रणव कुमार गांगुली ने बताया था कि उन्होंने 1980 में एशियन पेंट्स इंडिया लिमिटेड के 50 शेयर पत्नी के नाम से खरीदे थे, जो समय के साथ बढ़कर 5870 हो गए। इनकी कीमत करीब 1 करोड़ 20 लाख रुपए थी।

लेकिन अचानक पता चला कि बिना उनकी अनुमति के 5370 शेयर जबलपुर निवासी विमल कुमार शाह के नाम ट्रांसफर कर दिए गए हैं। जबकि उन्होंने या उनकी पत्नी ने किसी भी कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। सुपेला थाने में 2020 में दर्ज मामले की जांच के बाद आरोपी विमल शाह के खिलाफ चालान पेश किया गया।

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