रतनपुर महामाया मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब: उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने की पूजा-अर्चना

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 कोटा। छत्तीसगढ़ के कोटा में स्थित सिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर में नवरात्री महापर्व का उल्लास चरम पर है। जैसे-जैसे पर्व अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ रहा है। सप्तमी के पावन अवसर पर रविवार को मंदिर परिसर में सुबह से ही दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं।

इसी बीच छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव भी अपनी धर्मपत्नी के साथ महामाया के दरबार पहुंचे और विधिविधान से पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

हजारों की संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु
हर वर्ष नवरात्री के दौरान रतनपुर का यह ऐतिहासिक मंदिर भक्ति और आस्था का केंद्र बन जाता है। इस बार भी प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। मंदिर परिसर में त्यौहार का उल्लास, भक्ति गीतों की गूंज और मां महामाया के जयकारों से वातावरण पूर्णतः भक्तिमय हो गया। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं, जिससे दर्शन व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही है। नवरात्रि के शेष दिनों में और अधिक भीड़ की संभावना को देखते हुए मंदिर परिसर में अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है।

मां बम्लेश्वरी मंदिर में भक्तों का तांता
नवरात्र के पावन पर्व पर देशभर में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत उत्साह देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में राजनांदगांव जिले की धर्मनगरी डोंगरगढ़ स्थित विश्व प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी धाम में भी भक्तों का तांता उमड़ रहा है। दूर-दूर से श्रद्धालु माता रानी के दरबार में पहुंचकर अपनी अर्जी लगा रहे हैं। इसी क्रम में आज एक खास दृश्य तब देखने को मिला जब जिला पंचायत दुर्ग की अध्यक्ष सरस्वती बंजारे 100 किलोमीटर की पदयात्रा कर माता के दरबार में पहुंचीं।

100 किलोमीटर की आस्था यात्रा
नवरात्र पर्व का उत्साह पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी नवरात्र महापर्व की धूम देखने को मिल रही है। डोंगरगढ़ का मां बम्लेश्वरी धाम आस्था का केंद्र बन चुका है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। जिला पंचायत दुर्ग की अध्यक्ष सरस्वती बंजारे ने मां बम्लेश्वरी के दरबार तक पहुँचने के लिए 100 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की, यह यात्रा 24 सितंबर को जामुल (दुर्ग) से प्रारंभ हुई थी।

महिलाओं की बड़ी भागीदारी
इस पदयात्रा में अधिक संख्या में महिलाएं शामिल हुईं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भी यात्रा में हिस्सा लिया और पूरे रास्ते माता रानी के जयकारे लगते रहे।

संदेश – नारी शक्ति, आस्था और एकता
सरस्वती बंजारे ने इस यात्रा को महिलाओं की शक्ति और सामूहिक एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति का स्वरूप असीम है, और यहां तक कि उनकी चूड़ियों में भी शक्ति समाहित रहती है। इस पदयात्रा के जरिए समाज को नारी सशक्तिकरण और एकजुटता का संदेश दिया गया।

पैदल यात्रा का अनुभव
सरस्वती बंजारे ने मीडिया से चर्चा में बताया कि यह पदयात्रा भले ही कठिन और कष्टदायक थी, लेकिन माता रानी के जयकारे और श्रद्धा ने इसे सरल और प्रेरणादायी बना दिया। उन्होंने कहा – 100 किलोमीटर की दूरी कब पूरी हो गई, इसका अहसास ही नहीं हुआ।

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