बेमेतरा – छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के शासकीय प्राथमिक शाला साल्हेपुर ने हाल में ही स्वच्छता, संस्कृति और सामुदायिक सहयोग को आधार बनाकर एक अनोखी मिसाल पेश की है। विद्यालय में स्वच्छता पखवाड़ा, नवरात्रि उत्सव और ड्रेस, आईडी कार्ड वितरण जैसे विविध कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। जिनमें बच्चों, शिक्षकों, ग्रामीणों और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी रही।
स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान विद्यालय में स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया गया। इसके अंतर्गत विद्यालय प्रांगण की सामूहिक साफ-सफाई की गई। रैली निकालकर ग्रामीणों को स्वच्छता का संदेश दिया गया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कचरा प्रबंधन और पॉलीथिन उपयोग निषेध का संदेश दिया गया। गीले और सूखे कचरे के पृथक्करण का अभ्यास कराया गया। ग्रामीणों और विद्यार्थियों को स्वच्छता शपथ दिलाई गई। हाथ धोने के पाँच चरणों का प्रदर्शन बच्चों ने स्वयं किया।
अंक-ज्ञान को जोड़ते हुए देवी जस गीत किया तैयार
इस अभियान का प्रभाव यह रहा कि, ग्रामीणों ने भी विद्यालय की इस पहल को सराहा की। स्वस्थ गाँव के लक्ष्य को अपनाने का संकल्प लिया। नवरात्रि को केवल पूजा और सांस्कृतिक आयोजन तक सीमित न रखते हुए प्रधान पाठक अंबालिका पटेल ने इसे शैक्षणिक नवाचार का रूप दिया। उन्होंने वर्णमाला एवं अंक-ज्ञान को जोड़ते हुए देवी जस गीत तैयार किया, जिसे बच्चों ने गरबा के रूप में प्रस्तुत किया। गीत के बोल -“हम स्कूल आथन भैया पढ़े लिखे बर हो… मैडम गुरुजी है गिनती सीखाथे….यह गीत बच्चों को इतना प्रिय लगा कि वे इसे विद्यालय में, घर पर और राह चलते भी गुनगुनाने लगे, जिससे खेल-खेल में सीखने की प्रक्रिया स्वतः शुरू हो गई। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की ‘सीखना आनंद से’ की अवधारणा का उत्कृष्ट उदाहरण है।
ग्रामीणों ने इस पहल को सराहा
विद्यालय में बैग-लेस डे के अवसर पर सामुदायिक सहयोग से बच्चों को ड्रेस टी-शर्ट और आईडी कार्ड वितरित किए गए। इससे बच्चों में एकरूपता और अनुशासन की भावना मजबूत हुई। विद्यालय की पहचान और गरिमा में वृद्धि हुई। अभिभावकों ने भी इस पहल को सराहा और आगे भी सहयोग का आश्वासन दिया।
विद्यालय केवल पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का केंद्र
इन सभी कार्यक्रमों को सफल बनाने में प्रधान पाठक अंबालिका पटेल का विशेष सहयोग रहा हैं। अंबालिका पटेल सदैव शिक्षा और समुदाय के बीच सेतु का कार्य करती रही हैं। वे पालकों, ग्रामीणों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ निरंतर संवाद बनाकर विद्यालय के विकास के लिए सतत प्रयासरत रहती हैं। शासकीय प्राथमिक शाला साल्हेपुर द्वारा आयोजित ये कार्यक्रम न केवल बच्चों के व्यक्तित्व विकास में कारगर सिद्ध हुए, बल्कि उन्होंने ग्राम समुदाय को भी यह संदेश दिया। विद्यालय केवल पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का केंद्र भी है।