अयोध्या में बन रहे मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया। इसके बाद से ही कार्यक्रम को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि निमंत्रण सबको दिया जाना चाहिए। क्या ईश्वर अब एक पार्टी तक ही सीमित हैं?
इधर, शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत का कहना है कि प्रधानमंत्री को न्योता देने की जरूरत नहीं थी। वे खुद ही वहां जाते, क्योंकि ये सब चुनाव की तैयारी के हिसाब से किया जा रहा है।
PM मोदी ने न्योता स्वीकार किया
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय, निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा, उडुपी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु माधवाचार्य और स्वामी गोविंददेव गिरि ने बुधवार शाम को PM मोदी से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने PM को एक बार फिर से अयोध्या के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
PM बोले- कार्यक्रम में शामिल होना मेरा सौभाग्य है
प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा, ‘जय सियाराम! आज का दिन बहुत भावनाओं से भरा हुआ है। अभी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी मुझसे मेरे निवास स्थान पर मिलने आए थे। उन्होंने मुझे श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या आने के लिए निमंत्रित किया है। मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि अपने जीवनकाल में, मैं इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनूंगा।’
10 दिन चलेगा उत्सव कार्यक्रम
मीडिया से बातचीत में राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने पहले ही बताया था कि अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। प्राण-प्रतिष्ठा की जिम्मेदारी साधु-संत निभाएंगे। उत्सव कार्यक्रम 10 दिन चलेगा।
उन्होंने बताया कि मंदिर बनने के बाद एक से डेढ़ लाख भक्त हर दिन भगवान राम के दर्शन कर सकेंगे। हर भक्त को गर्भगृह में भगवान के दर्शन के लिए 20 से 30 सेकेंड का समय मिलेगा।
अपने गांव-घर में मनाएं प्राण प्रतिष्ठा समारोह
नृपेंद्र मिश्रा ने लोगों से अपील की है कि वे उस दिन अयोध्या न आएं और अपने घर-गांव में ही पूजा करें। लोग अपने गांव में, शहर में, घरों में प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाएं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का टीवी पर प्रसारण भी होगा। ट्रस्ट का कहना है कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भारी भीड़ होने की संभावना है, जिससे सुरक्षा और सुविधाओं में दिक्कतें आ सकती हैं।
तीन चरणों में पूरा होगा मंदिर का निर्माण
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर का निर्माण 5 अगस्त 2020 या उससे भी 2 या 3 महीने पहले से चल रहा है। यह कार्य तीन चरणों में पूरा होगा-
- पहला- दिसंबर 2023 में पूरा होगा। इसमें ग्राउंड फ्लोर का निर्माण होगा और वहां भगवान स्थापित हो जाएंगे।
- दूसरा- इसमें मंदिर निर्माण पूरा होगा। इसे दिसंबर 2024 तक कर लिया जाएगा।
- तीसरा और आखिरी चरण- दिसंबर 2025 में पूरा होगा। इसमें पूरे मंदिर परिसर का निर्माण होना है, जिसमें अन्य महत्वपूर्ण भवन और मंदिर भी शामिल हैं।
- नृपेंद्र मिश्रा ने बताया, मंदिर में भगवान राम और रामायण का संग्रहालय बनना है। पहले हमें 71 एकड़ के परिसर में ही निर्माण करना था, लेकिन 71 एकड़ के बाहर यूपी सरकार का रामायण संग्रहालय है। हमने यूपी सरकार से अनुरोध किया है कि वो पूरा-पूरा संग्रहालय यथावत ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दें। अतिशीघ्र ट्रस्ट और यूपी सरकार के बीच संग्रहालय के ट्रांसफर का एग्रीमेंट होगा।
- मार्च 2024 तक अयोध्या में 1 करोड़ भक्तों के आने की संभावना
- विश्व हिंदू परिषद के प्रचार-प्रसार प्रमुख सुरेंद्र जैन ने बताया कि 15 जनवरी से लेकर मार्च 2024 तक एक करोड़ श्रद्धालु अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। यह संख्या और बढ़ सकती है, जिसके 5 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
एक किलो सोने का सिंहासन भगवान को सौपेंगे
कांची शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती के शिष्य और आंध्र प्रदेश के श्रद्धालु सी श्रीनिवासन 15 जनवरी 2024 को रामलला के लिए एक किलो वजन का सोने का सिंहासन सौपेंगे। इसके साथ ही वे 8 किलो चांदी की चरण पादुका भी भगवान की सेवा में समर्पित करेंगे।
चरण पादुकाओं में 10 उंगलियों के स्थान पर माणिक्य लगे हैं। चरण पादुकाओं पर गदा, कमल, स्वास्तिक, सूर्य और चंद्रमा भगवान श्रीराम से जुड़े धार्मिक चिह्न बने हुए हैं। इन पादुकाओं का प्रमोदवन स्थित मीनाक्षी मंदिर में बहुत ही विधान पूर्वक पूजन किया गया। इन चरण पादुकाओं को लेकर श्रीनिवासन ने 40 दिनों तक अयोध्या के नंदीग्राम, भरत कुंड और सूर्य कुंड आदि स्थानों का दर्शन-पूजन किया।