महामाया मंदिर में नवरात्रि की धूम : सोने के आभूषणों से हुआ माता का राजसी श्रृंगार, दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

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कोटा – छत्तीसगढ़ के कोटा में शारदीय नवरात्र की नवमी पर बुधवार को रतनपुर माँ महामाया मंदिर में माता का राजसी श्रृंगार किया गया। सुबह महाआरती और राजसी नैवेद्य चढ़ाने के बाद ट्रस्ट ने कन्या और ब्राम्हण भोज का आयोजन किया जाएगा। कन्या, ब्राम्हण भोज के बाद दोपहर पूजन सामग्री के साथ पुजारी सभी ज्योति कलश कक्ष में प्रज्जवलित मनोकामना ज्योति कलश की पूजा अर्चना कर मंत्रोच्चार के साथ ज्योति विसर्जित की जाएगी।

ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया कि, माता को रानीहार, कंठ हार, मोहर हार, ढार, चंद्रहार, पटिया समेत 9 प्रकार के हार, करधन, नथ धारण कराया गया। राजसी श्रृंगार के बाद मां महामाया की महाआरती की गई। पूजा अर्चना के बाद मां को राजसी नैवेद्य समर्पित किया गया। दोपहर के समय मंदिर परिसर में कन्या भोज होगा। वहीं ब्राम्हण भोज का आयोजन में मंदिर के पुरोहितों समेत ब्राम्हणों को भोज कराया जाएगा। कन्या और ब्राम्हण भोज के बाद ज्योति कलश रक्षकों को भोज कराकर उन्हें वस्त्र और दक्षिणा प्रदान की जाएगी।

मां दंतेश्वरी के दर्शन को जान जोखिम में डाल रहे लोग
वहीं जगदलपुर शहर में 618 वर्षों से बस्तर में मनाए जा रहे बस्तर दशहरा की रविवार से काछन देवी विधान से शुरुआत हो गई है। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा और नवरात्र महापर्व एक साथ होने से बस्तर अंचल के कोने-कोने से बड़ी संख्या में ग्रामीण युवक-युवतियां, पुरुष एवं मातृशक्ति अपने-अपने क्षेत्र गांव से पैदल दंतेवाड़ा माँ दंतेश्वरी के दर्शन को निकलते है।

ग्रामीणों को होगी असुविधा
इस वर्ष भी नवरात्रि के एक दिन पहले से पदयात्रियों का जत्था दंतेवाड़ा दर्शन के लिए पदयात्रा पर निकलने का सिलसिला 28 सितंबर तक अनवरत जारी रहा। रेलवे प्रशासन पिछले वर्ष जगदलपुर से दंतेवाड़ा-जगदलपुर दिन में दो पाली में स्पेशल पैसेंजर ट्रेन का संचालन किया था। इस वर्ष विशेष पैसेंजर ट्रेन परिचालन नही होने से पदयात्रियों को और जगदलपुर दशहरा देखने आने वाले दक्षिण बस्तर के ग्रामीणों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

विशाखापत्तनम से किरन्दुल तक चलती हैं दो ट्रेनें
विदित हो कि विशाखापत्तनम से किरन्दुल के मध्य दो नियमित यात्री ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। लेकिन पर्व के चलते दोनों ट्रेनो ने भीड़ इतनी बढ़ रही है कि, लोगो को रेल कोच (डिब्बे) में पांव रखने की जगह नही मिल रहा है। नाईट एक्सप्रेस सुबह 5 बजे जगदलपुर पहुंचती है और 10 मिनट के स्टापेज के बाद सवा 5 बजे किरन्दुल रवाना हो जाती। जबकि यही ट्रेन वापसी में देर शाम साढ़े 7 बजे जगदलपुर पहुंचती है। पैसेंजर ट्रेन विशाखापत्तनम से शाम साढ़े 4 बजे जगदलपुर पहुंचती और 10 मिनट के स्टापेज के बाद किरन्दुल रवाना हो जाती। यह ट्रेन वापसी में दूसरे दिन सुबह 5 बजे किरन्दुल से रवाना होकर सुबह 9.45 बजे जगदलपुर पहुंचती है।

ट्रेनों में होती है भारी भीड़
बारिश के बाद भी दोनों ट्रेने नियमत संचालित हो रही है। वरना घाट सेक्शन में चटटान धसकने अथवा लेंड स्लाइड की घटना की वजह से लंबे समय तक केके रेल लाइन बाधित हो जाती है। गनीमत है कि अभी तक ऐसे स्थिति नही आई। नवरात्रि एवं दशहरा पर्व के चलते इन दोनों ट्रेनो में भीड़ ऐसी होती है कि, लोग दरवाजे पर लटकते यात्रा करने पर मजबूर है। जबकि पिछले साल 2024 में रेलवे प्रशासन नवरात्री पर्व स्पेशल ट्रेन की सेवा एक दिन पहले देने से पदयात्रियों और दशहरा पर्व देखने जगदलपुर आने-जाने वाले ग्रामीणों, पर्यटकों एवं यात्रियों को काफी राहत मिली थी।

दोनों ट्रेनो ने जोड़े गए 2 अतिरिक्त कोच
इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक के पवन कुमार ने कहा कि, नवरात्रि एवं बस्तर दशहरा पर्व को ध्यान में रखकर पैसेंजर और नाईट एक्सप्रेस ट्रेनों में 2-2 अतिरिक्त कोच जोड़ा गया है। इसके बाद भी आवश्यकता पड़ी तो अतिरिक्त कोच जोड़ा जाएगा।

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