बलौदाबाजार। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। स्वतंत्रता संग्राम की गाथा में छत्तीसगढ़ का बलौदाबाजार का भी विशेष योगदान रहा है। यही वह ऐतिहासिक नगर है, जहां 93 वर्ष पहले महात्मा गांधी अपने दौरे के दौरान पहुंचे थे। उनका यह आगमन यहां के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना, जिसकी स्मृतियां आज भी जीवित हैं।
गांधीजी कुल दो बार छत्तीसगढ़ आए थे। पहली बार 1920-21 में धमतरी में और दूसरी बार 26 नवंबर 1933 को बलौदाबाजार पहुंचे। उनका उद्देश्य था—आजादी की लड़ाई में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना और समाज में व्याप्त छुआछूत जैसी कुरीतियों को समाप्त करना था। रायपुर से सारागांव, खरोरा और पलारी होते हुए गांधीजी बलौदाबाजार आए।
दलित के हाथों पानी पिए थे गांधी जी
बलौदाबाजार आगमन के समय गांधी जी ने कृषि उपज मंडी प्रांगण में उन्होंने एक विशाल सभा को संबोधित किया था। बुजुर्गों के अनुसार, गांधी जी ने उस सभा में सामाजिक समानता का अद्वितीय संदेश दिया। वे वहीं मौजूद कुएं से एक दलित से पानी निकलवाकर स्वयं पिए और उपस्थित सभी दलित भाइयों को भी वही पानी पिलाया। यह घटना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी और छुआछूत की दीवारें टूटने लगीं।
आज भी मौजूद है ऐतिहासिक कुआं
आज भी बलौदाबाजार की पुरानी कृषि उपज मंडी में वह ऐतिहासिक कुआं मौजूद है, जो गांधीजी की उस यादगार यात्रा का प्रतीक है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरेंद्र शर्मा बताते हैं कि यह गांधीजी का दौरा ही था, जिसने इलाके में स्वतंत्रता और सामाजिक चेतना की लहर जगा दी थी।