भारतीय मूल के अमेरिकियों का शिक्षा और समाज निर्माण में योगदान लगातार बढ़ रहा है। गैर-लाभकारी संगठन इंडियास्पोरा की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि 2008 से अब तक भारतीय अमेरिकियों ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों को लगभग 26,626 करोड़ रुपये (3 बिलियन डॉलर से ज्यादा) का दान दिया है।
क्यों खास है ये योगदान?
इंडियास्पोरा का कहना है कि यह दान न केवल उन संस्थानों का सम्मान है, जिन्होंने भारतीय अमेरिकियों के जीवन और करियर को आकार दिया, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों को भी सीखने, रिसर्च और लीडरशिप के मौके देने की गारंटी है।
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इस निवेश ने भारत और अमेरिका के बीच शैक्षणिक व सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत किया है।
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इसे एक तरह का “फ्लाईव्हील इफेक्ट” माना जा रहा है, जो आने वाले समय में शिक्षा और इनोवेशन को नई ऊंचाई देगा।
शिक्षा को अहमियत देने वाली सोच
इंडियास्पोरा के फाउंडर और चेयरमैन एम.आर. रंगास्वामी ने कहा कि भारतीय मूल के अमेरिकियों का यह योगदान शिक्षा को महत्व देने की परंपरा और अमेरिका के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इन दानों से सभी नस्लों और पृष्ठभूमियों के अमेरिकियों को लाभ मिलता है।
भारतीय अमेरिकियों का शैक्षिक स्तर
रिपोर्ट में सामने आया कि—
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78% भारतीय अमेरिकी स्नातक या उससे उच्चतर डिग्रीधारी हैं (जो कि अमेरिकी औसत से कहीं ज्यादा है)।
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भारतीय छात्र हर साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग ₹88,752.9 करोड़ का योगदान करते हैं।
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इस योगदान से लगभग 93,000 अमेरिकी नौकरियां पैदा होती हैं।
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इस समय करीब 2.70 लाख भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं।
किस क्षेत्र में गया सबसे ज्यादा दान?
अध्ययन के अनुसार, सार्वजनिक रूप से घोषित अधिकांश दान इन क्षेत्रों में केंद्रित रहे—
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मेडिकल और हेल्थ साइंसेज़
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इंजीनियरिंग
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बिजनेस एजुकेशन
इसके अलावा, लगभग ₹1,242.5 करोड़ रुपये सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए दिए गए। इसमें दक्षिण एशियाई, हिंदू और भारतीय अध्ययन से जुड़ी रिसर्च को बढ़ावा देने वाली ग्रांट्स भी शामिल हैं, जो अमेरिका में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रतीक है।
रिपोर्ट का महत्व
इंडियास्पोरा लंबे समय से अमेरिका में भारतीय समुदाय के असर का अध्ययन करता रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ तैयार की गई 2024 इंपैक्ट रिपोर्ट है, जिसमें भारतीय अमेरिकियों की भूमिका और उनके व्यापक योगदान पर रोशनी डाली गई।