भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच लंबे समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर तेजी से काम शुरू हो गया है। इस संबंध में 14वां दौर की वार्ता 6 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है। दोनों पक्षों का मकसद है कि इस साल के अंत तक समझौते को अंतिम रूप दिया जाए।
मोदी और यूरोपीय नेतृत्व की सहमति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन पहले ही इस डील को प्राथमिकता देने पर सहमत हो चुके हैं। दोनों नेताओं ने साझा लक्ष्य रखा है कि 2025 के आखिर तक FTA का ढांचा तैयार हो जाए और कारोबारी सहयोग नई ऊंचाई पर पहुंचे।
क्यों अहम है यह समझौता?
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यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।
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FTA लागू होने से मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर में बड़ा उछाल आने की उम्मीद है।
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भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय बाजार तक आसान पहुंच और कम टैरिफ का लाभ मिलेगा।
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वहीं यूरोपीय कंपनियों को भारत में निवेश और मार्केट विस्तार के अवसर मिलेंगे।
वार्ता का एजेंडा
इस दौर में जिन बिंदुओं पर विशेष चर्चा होगी, उनमें शामिल हैं—
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टैरिफ रियायतें और कस्टम ड्यूटी घटाने का रोडमैप।
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इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर।
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क्लाइमेट फ्रेंडली ट्रेड नीतियां और सस्टेनेबल डेवलपमेंट।
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भारतीय IT और सर्विस सेक्टर के लिए विजा और वर्क परमिट नियमों को आसान बनाना।
कुल मिलाकर, भारत-ईयू एफटीए दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए विन-विन डील साबित हो सकता है। अब सबकी नजर 6 अक्टूबर से शुरू हो रही 14वीं वार्ता और साल के अंत तक होने वाले संभावित समझौते पर है।