छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से दो आरोपी एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े होने की जानकारी सामने आई है। आरोपियों ने अब तक करीब 22 लाख रुपये की धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम दिया है।
मामला कैसे खुला?
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अंजोरा चौकी के दीपेश निषाद ने पुलिस से शिकायत की थी।
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शिकायत में बताया गया कि आरोपी मनोज साहू, जो उसके घर के पास किराए से रहता था, ने खुद को नगर निगम दुर्ग में ड्राइवर और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली बताया।
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उसने दीपेश के पिता को अपने राजनीतिक परिचय दिखाते हुए खाद्य विभाग में सरकारी नौकरी दिलाने का वादा किया।
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मनोज ने अपने सहयोगियों मुकेश वर्मा और रजत वर्मा से पहचान कराई और नौकरी दिलाने के एवज में 4 लाख रुपये मांगे।
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परिवार ने 2 लाख रुपये एडवांस दे दिए। लेकिन दो साल बीतने के बाद भी नौकरी नहीं लगी, उल्टा उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया गया।
किस तरह चल रहा था गिरोह?
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मुख्य आरोपी मनोज साहू ने दावा किया था कि उसकी सीधे केंद्रीय मंत्रियों और बड़े नेताओं से जान-पहचान है।
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इस विश्वास पर लोगों से लाखों रुपये वसूले गए।
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गिरोह ने खाद्य विभाग पर्यवेक्षक और चपरासी जैसे पदों पर नियुक्ति दिलाने का झांसा दिया।
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आरोपी महेश हिराऊ, जो भिलाई में टाइपिंग सेंटर चलाता है, फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करता था।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने जांच के बाद चारों आरोपियों –
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मनोज साहू (मुख्य आरोपी, 2023 विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी भी रह चुका)
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मुकेश वर्मा
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रजत वर्मा
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महेश हिराऊ (फर्जी दस्तावेज बनाने वाला)
को गिरफ्तार कर लिया है।
इनके पास से फर्जी नियुक्ति पत्र, कंप्यूटर और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। सभी आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया गया है।