छत्तीसगढ़ में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का विरोध तेज़: नागरिक समाज ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, आदिवासी समाज भी उतरा सड़कों पर

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लद्दाख के प्रख्यात पर्यावरणविद् और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर लद्दाख ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ में भी विरोध की लहर उठी है।

रविवार (5 अक्टूबर) को रायपुर में नागरिक समाज का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमन डेका से मिला और वांगचुक की तुरंत रिहाई की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा। वहीं, राजनांदगांव में आदिवासी समाज ने प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ नाराज़गी जताई।


रायपुर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन

गांधी मूर्ति स्थल (टाउन हॉल) पर नागरिक समाज ने शांतिपूर्ण विरोध किया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर कहा कि –

  • लद्दाखवासियों की लोकतांत्रिक मांगों को लगातार नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।

  • केंद्र सरकार द्वारा लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

  • यह मामला सिर्फ लद्दाख का नहीं, बल्कि पूरे भारतीय लोकतंत्र की परीक्षा है।

नागरिक समाज ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील की और चेतावनी दी कि यदि रिहाई पर जल्द कदम नहीं उठे तो आंदोलन और व्यापक होगा।


आदिवासी समाज का विरोध

शनिवार (4 अक्टूबर) को राजनांदगांव में सैकड़ों आदिवासी एकजुट होकर कलेक्टर ऑफिस पहुंचे।

  • उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

  • सोनम वांगचुक को “देशद्रोही” कहकर जेल भेजे जाने को शर्मनाक बताया।

  • प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जिस व्यक्ति ने देश की सेना के लिए टैंक बनाने में योगदान दिया और पर्यावरण की रक्षा की आवाज़ उठाई, उसे शांतिपूर्ण आंदोलन करने पर जेल भेजा जाना लोकतंत्र पर धब्बा है।


पृष्ठभूमि: लेह हिंसा और NSA कार्रवाई

26 सितंबर को लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ था। झड़पों में 4 लोगों की मौत और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसके बाद प्रशासन ने सोनम वांगचुक को NSA के तहत हिरासत में ले लिया।

NSA कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए 12 महीने तक कैद किया जा सकता है, यदि उसकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा समझी जाएं। प्रशासन का आरोप है कि स्थानीय नेताओं की वजह से युवा भड़के और हालात बेकाबू हुए।


लोकतांत्रिक अधिकार बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा

कई सामाजिक संगठन और नागरिक समूह इस गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार असहमति की आवाज़ को दबाने के लिए सख्त कानून का दुरुपयोग कर रही है।


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तय

सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी को चुनौती दी है और तत्काल रिहाई की मांग की है। इस मामले की सुनवाई सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 को होगी।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह केस केवल सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मुद्दा नहीं, बल्कि NSA जैसे कानून की सीमाओं और संविधानिक अधिकारों की परिभाषा पर भी बहस खड़ा करेगा।


कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध लगातार तेज़ हो रहा है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां तय होगा कि यह मामला केवल कानून-व्यवस्था का है या लोकतांत्रिक अधिकारों पर कुठाराघात।


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