दिल को स्वस्थ रखना पूरे शरीर की फिटनेस के लिए बेहद ज़रूरी है। हार्ट से जुड़ी कई तरह की समस्याओं में से एक है दिल का सामान्य से बड़ा हो जाना, जिसे मेडिकल भाषा में कार्डियोमेगली कहा जाता है। अगर यह समस्या समय रहते पहचान में न आए तो यह गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, खराब खानपान और स्ट्रेस इस परेशानी को तेजी से बढ़ा रहे हैं। अगर शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दिया जाए तो हार्ट फेल्योर और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर दिक्कतों से बचा जा सकता है।
हार्ट साइज बढ़ने के शुरुआती लक्षण
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सांस फूलना – हल्का काम करने या सीढ़ियां चढ़ते वक्त जल्दी सांस फूलना।
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थकान और कमजोरी – पर्याप्त आराम करने के बाद भी थकान बने रहना।
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धड़कन का असामान्य होना – हार्टबीट का तेज या अनियमित होना।
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सूजन – पैरों और टखनों में पानी जमा होने से सूजन आना।
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छाती में दर्द या दबाव – लगातार भारीपन या दर्द महसूस होना।
हार्ट का आकार बढ़ने के कारण
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लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहना।
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जन्मजात हृदय रोग।
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हार्ट वॉल्व की गड़बड़ी।
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धूम्रपान और अत्यधिक शराब सेवन।
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थायरॉयड या किडनी की समस्या।
हार्ट साइज बढ़ने का इलाज और बचाव
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दवाइयाँ – ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर दवाइयाँ देते हैं।
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लाइफस्टाइल बदलाव – संतुलित डाइट, रोजाना हल्की एक्सरसाइज और स्ट्रेस कम करना ज़रूरी है।
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सर्जरी या पेसमेकर – गंभीर मामलों में हार्ट वॉल्व रिपेयर, बाईपास सर्जरी या पेसमेकर लगाया जा सकता है।
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नियमित चेकअप – ईसीजी, ईकोकार्डियोग्राम और ब्लड टेस्ट समय-समय पर कराना चाहिए।
नोट: यह जानकारी सिर्फ जागरूकता के लिए है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।