देश को हिला देने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में आखिरकार बड़ा एक्शन हुआ है। श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के मालिक रंगनाथन को पुलिस ने चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया है। यह वही कंपनी है जिसके जहरीले सिरप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में अब तक 23 मासूम बच्चों की जान जा चुकी है।
SIT की कार्रवाई और इनाम
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पुलिस ने कंपनी के फरार मालिक पर ₹20,000 का इनाम घोषित किया था।
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विशेष SIT (Special Investigation Team) बनाई गई थी।
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बुधवार को छापेमारी कर रंगनाथन को हिरासत में लिया गया।
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अब उसे ट्रांजिट रिमांड पर छिंदवाड़ा लाया जाएगा, जहां सबसे ज्यादा मौतें हुईं।
⚠️ जांच में निकला जहरीला सच
जांच में सामने आया कि सिरप में औद्योगिक जहर डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की खतरनाक मात्रा मिली।
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अनुमेय सीमा: 0.1%
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रिपोर्ट में पाया गया: 48% तक औद्योगिक जहर
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बच्चों की मौत सीधे-सीधे इस जहरीली दवा से हुई।
फैक्ट्री में 350 नियमों का उल्लंघन
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के सुंगुवरचत्रम इलाके में बनी इस फैक्ट्री को “मौत का अड्डा” कहा गया।
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350 गंभीर उल्लंघन पाए गए।
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जंग लगे उपकरणों का इस्तेमाल।
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गैर-फार्मा ग्रेड केमिकल्स से दवा बनती थी।
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फैक्ट्री के पास GMP (Good Manufacturing Practice) प्रमाणन भी नहीं था।
सरकार की प्रतिक्रिया
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मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा –
“20 बच्चों की मौत दूषित कफ सिरप से हुई है और इसके लिए तमिलनाडु सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है। राज्य से बाहर भेजी जाने वाली दवाओं की जांच करना उनकी जिम्मेदारी थी।”
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तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम ने भी पुष्टि की कि दवा नियंत्रक की 3 अक्टूबर की रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ कफ सिरप मिलावटी पाया गया, जिसके बाद फैक्ट्री को बंद करने के आदेश दिए गए।
निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ एक फार्मा घोटाला नहीं, बल्कि देश के ड्रग रेगुलेशन सिस्टम पर गंभीर सवाल है।
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क्या दवा कंपनियां इतनी आसानी से लापरवाही और मौत का कारोबार कर सकती हैं?
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क्या सरकारें समय रहते सख्त कार्रवाई करेंगी ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों?
छिंदवाड़ा के मासूमों की मौत ने एक बार फिर भारत में फार्मा इंडस्ट्री की निगरानी और जवाबदेही की पोल खोल दी है।