गुजरात की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा उलटफेर हुआ। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में नई कैबिनेट ने शपथ ली। इस बार मंत्रिमंडल में 26 मंत्री शामिल किए गए हैं, जिनमें 19 नए चेहरे हैं।
सबसे पहले शपथ लेने वाले मजूरा विधायक हर्ष संघवी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा भी मंत्री बनीं।
इससे पहले गुरुवार को भूपेंद्र पटेल सरकार के सभी 16 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।
जातीय और चुनावी समीकरण का पूरा ध्यान
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नई कैबिनेट में 8 मंत्री पटेल समाज से हैं।
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8 OBC, 3 SC, 4 ST और 3 महिलाएं शामिल हुईं।
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भाजपा ने आगामी 2027 विधानसभा चुनाव और नज़दीकी लोकल बॉडी चुनावों को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल को पूरी तरह से रीसेट किया है।
फेरबदल की 5 अहम वजह
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स्ट्रेटेजिक रीसेट – पार्टी ने पूरी टीम बदलकर नए सिरे से शुरुआत की।
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कमजोर परफॉर्मेंस – पुराने मंत्रियों की जगह नए, सक्रिय चेहरे लाए गए।
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जातीय समीकरण – खासकर पाटीदार और OBC नेताओं को तवज्जो।
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लोकल इलेक्शन की तैयारी – बिसावदर उपचुनाव में हार के बाद पार्टी नए चेहरे सामने लाना चाहती थी।
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ज्यादा हिस्सेदारी – विधानसभा नियम के अनुसार 26 मंत्री बनाए जा सकते हैं, ताकि सभी क्षेत्रों और जातियों को प्रतिनिधित्व मिले।
तीसरी बार मंत्रिमंडल का गठन
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भूपेंद्र पटेल पहली बार सितंबर 2021 में सीएम बने थे।
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दूसरी बार दिसंबर 2022 में 16 मंत्रियों के साथ कैबिनेट बनी।
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अब अक्टूबर 2025 में तीसरी बार मंत्रिमंडल का गठन हुआ है।
बड़े नामों की एंट्री
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अर्जुन मोढवाडिया (पूर्व कांग्रेसी)
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अल्पेश ठाकोर
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हार्दिक पटेल
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रिवाबा जडेजा
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जीतू वाघाणी
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नरेशभाई पटेल
इन नए चेहरों से साफ है कि भाजपा ने विपक्ष को झटका देने और जातीय समीकरण मजबूत करने की रणनीति बनाई है।
कुल मिलाकर, गुजरात में यह फेरबदल सिर्फ मंत्रियों की अदला-बदली नहीं, बल्कि 2027 के चुनाव का बड़ा पॉलिटिकल मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।