भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास मौजूद सोने का खजाना अब 8.80 लाख किलो से भी ज्यादा हो गया है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर) में रिज़र्व बैंक का गोल्ड स्टॉक बढ़कर 880.18 मीट्रिक टन तक पहुंच गया। जबकि 2024-25 के अंत तक यह आंकड़ा 879.58 मीट्रिक टन था।
26 सितंबर तक इसका कुल मूल्य लगभग 95 बिलियन डॉलर यानी करीब 8.4 लाख करोड़ रुपये आंका गया है।
6 महीने में 600 किलो सोना खरीदा
रिज़र्व बैंक ने इस अवधि में अपने स्टॉक में 0.6 मीट्रिक टन (600 किलो) सोना जोड़ा। जून में 0.4 मीट्रिक टन और सितंबर में 0.2 मीट्रिक टन की खरीद हुई।
पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में RBI ने 54.13 मीट्रिक टन सोना खरीदा था, जिससे उसके खजाने में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
क्यों बढ़ी सोने की डिमांड?
RBI की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अस्थिरताओं और जियो-पॉलिटिकल तनाव की वजह से सोने की मांग तेजी से बढ़ी है। दुनियाभर के निवेशक और सेंट्रल बैंक इसे एक सुरक्षित निवेश (Safe Haven Asset) मानते हुए लगातार खरीद रहे हैं।
इसी दौरान, ग्लोबल स्तर पर सेंट्रल बैंकों ने करीब 166 टन सोना अपने आधिकारिक भंडार में जोड़ा, जिससे इसकी कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं।
क्यों ज़रूरी है गोल्ड रिज़र्व?
सोना किसी भी देश की आर्थिक सुरक्षा और करेंसी वैल्यू को मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
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अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी देश की मुद्रा कमजोर होती है, तो गोल्ड रिज़र्व उस कमी को संतुलित करता है।
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1991 के आर्थिक संकट में भारत ने सोना गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा जुटाई थी और मुश्किल हालात से बाहर आया था।
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ज्यादा भंडार होने का मतलब है कि देश की वित्तीय स्थिति स्थिर और मज़बूत है।
सोना–चांदी की कीमतों में उछाल
साल 2025 में अब तक सोने की कीमतों में बड़ा इज़ाफा हुआ है।
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सोना: 31 दिसंबर 2024 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोना ₹76,162 का था, जो अब बढ़कर ₹1,23,907 पर पहुंच गया है। यानी ₹47,745 की छलांग।
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चांदी: इसी अवधि में चांदी की कीमत भी ₹66,484 बढ़कर ₹86,017 प्रति किलो से ₹1,52,501 प्रति किलो हो गई है।
साफ है कि RBI लगातार सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में अपने खजाने में जोड़ रहा है। बढ़ता हुआ गोल्ड रिज़र्व न केवल भारत की आर्थिक स्थिरता का संकेत है, बल्कि ग्लोबल स्तर पर भरोसा भी मज़बूत करता है।