दुर्ग जनपद की ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में आत्मनिर्भरता की नई इमारत खड़ी होने जा रही है। वह भी ईंट, पत्थर, सीमेंट और अपने मजबूत इरादों की नींव पर। जनपद पंचायत दुर्ग क्षेत्र के ग्राम पंचायत पऊवारा और करगाडीह में 35-35 महिलाओं के लिए 30 दिवसीय रूरल मेसन (राजमिस्त्री) प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है।
यह पहल उन महिलाओं के लिए नए अवसर खोल रही है, जो अब घर की चारदीवारी से निकलकर निर्माण कार्य में अपनी दक्षता साबित करेंगी। यह प्रशिक्षण बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) द्वारा जनपद पंचायत दुर्ग के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम जिला पंचायत दुर्ग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बजरंग कुमार दुबे के मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को ईंट-पत्थर चिनाई, प्लास्टरिंग, फर्श एवं टाइल्स बिछाने, वॉटरप्रूफिंग, छत ढलाई, कंक्रीट मिश्रण तैयार करने जैसी अहम तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है। साथ ही निर्माण कार्य में सुरक्षा मानकों का पालन कैसे किया जाए, यह भी विस्तार से सिखाया जा रहा है। पऊवारा प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षक रोहित जैसवाल और अमित कुमार कुंभकार अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि करगाडीह में मास्टर ट्रेनर अनिता चारभे इस कौशल को महिलाओं तक पहुंचा रही हैं। प्रशिक्षण को पूरी तरह निशुल्क रखा गया है। प्रतिभागियों को ड्रेस, टूलकिट और भोजन भी उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि वे बिना किसी आर्थिक चिंता के पूरी एकाग्रता से सीख सकें। इस कार्यक्रम का लक्ष्य सिर्फ रोजगार देना नहीं है, बल्कि गांवों की महिलाओं के आत्मविश्वास और सामाजिक सम्मान का निर्माण भी है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) जैसे बड़े राष्ट्रीय कार्यक्रमों में कुशल राजमिस्त्रियों की बढ़ती जरूरत को पूरा करने में भी ये महिलाएं अहम भूमिका निभाएंगी।