छत्तीसगढ़ के दुर्ग में पत्नी से अप्राकृतिक सेक्स मामले में शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक बिजनेसमैन को 9 साल की सजा सुनाई हैं। वहीं प्रताड़ना के केस में सास-ससुर को 10 माह और ननद को 6 माह के लिए जेल भेज दिया है। महिला करीब 7 साल से पति के खिलाफ केस लड़ रही थी। जिले में अपनी तरह का यह पहला मामला है।
महिला की शादी 2007 में भिलाई के कारोबारी निमिष अग्रवाल से हुई थी। निमिष उसे अप्राकृतिक सेक्स के लिए मजबूर करता। इनकार करने पर मारपीट की जाती। वहीं ससुराल वाले दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते। तंग आकर 2016 में महिला ने ससुराल छोड़ा और बेटी को लेकर मायके रहने लगी।
कोर्ट ने पति, सास-ससुर और ननद को सुनाई सजा
मामले की जांच के दौरान ननद नेहा अग्रवाल को भी आरोपी बनाया गया। कोर्ट ने कारोबारी पति निमिष अग्रवाल को 9 साल कारावास और 10 हजार जुर्माना, धारा 323 के तहत एक साल सश्रम कारावास और 1000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।
इसके साथ ही ससुर सुनील अग्रवाल, सास रेखा अग्रवाल को धारा 323 का दोषी मानते हुए 10 माह की कैद और 1000 का अर्थदंड। ननद नेहा अग्रवाल को धारा 323 का दोषी मानते हुए 6 माह की कैद और 1000 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है।
दुर्ग न्यायालय में इस तरह का पहला मामला
पीड़िता के वकील नीरज चौबे ने बताया कि दुर्ग जिले में अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सजा सुनाई है। पीड़िता ने सुपेला थाने में 7 मई 2016 को शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने पीड़िता के पति निमिष अग्रवाल, सास रेखा अग्रवाल और ससुर सुनील अग्रवाल को आरोपी बनाया था।
पीड़िता बोली- अन्याय सहने से अच्छा उसके खिलाफ लड़ें
पीड़िता ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि, महिलाएं शादी के बाद इस तरह के प्रताड़ना के मामले को छिपाती हैं। दुर्ग में शायद पहला मामला होगा, जब अननेचुरल सेक्स के मामले में किसी को सजा हुई है। ये बेटी के साहस की बदौलत हो पाया है। सभी महिलाओं को प्रताड़ना को सहने की बजाय उसके खिलाफ लड़ना चाहिए।
पिता बोले- 8 साल मेरे लिए सजा की तरह थे
पीड़िता के पिता ने कहा कि उनके लिए पिछले 8 साल किसी सजा से कम नहीं थे। मेरी बेटी अपनी 3 साल की बेटी को लेकर प्रताड़ना सहने के बाद घर लौटी थी। उस दिन से आज तक मैं तकलीफ में था। आज उन लोगों को बेटी को प्रताड़ित करने पर उनके कर्मों की सजा मिली है।