रायपुर।
चक्रवाती तूफान ‘मोन्था’ का प्रभाव अब कम हो चुका है। मौसम विभाग के अनुसार यह सिस्टम अब लो-प्रेशर एरिया (निम्न दबाव क्षेत्र) में बदल गया है और पूर्वी विदर्भ और दक्षिण छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ रहा है। अगले 24 घंटों में इसके और कमजोर होकर सामान्य दबाव क्षेत्र बनने की संभावना है।
हालांकि अब तूफान जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन इसके अवशेष प्रभाव से कुछ जिलों में गरज-चमक के साथ तेज बारिश हो सकती है। बिजली गिरने की संभावना भी बनी हुई है।
मौसम विभाग ने किसी भी संभाग के लिए अलर्ट जारी नहीं किया है।
छत्तीसगढ़ में आज मौसम सामान्य, लेकिन बारिश का असर जारी
पिछले 24 घंटों में प्रदेश के कई इलाकों में हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की गई।
बड़े बचेली में सबसे ज्यादा 60 मिमी बारिश हुई, जबकि दुर्ग का अधिकतम तापमान 28.2°C और पेंड्रा का न्यूनतम तापमान 19.8°C दर्ज किया गया।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सिस्टम धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसक रहा है,
जिससे आने वाले एक-दो दिनों में दक्षिण और मध्य जिलों में बिखरी हुई बारिश हो सकती है।
रेलवे यातायात पर ‘मोन्था’ का असर, ट्रेनें 29 घंटे लेट
तूफान ‘मोन्था’ के कारण रेलवे रूट पर सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है।
सुरक्षा कारणों से कई ट्रेनों को उनके नियमित मार्गों से हटाकर डायवर्ट रूट पर चलाया गया है।
इन डायवर्ट रूट्स पर पहले से ही यात्रियों और मालगाड़ियों का दबाव होने से
कई ट्रेनें 29 घंटे तक की देरी से चल रही हैं।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रूट कंजेशन के कारण देरी और बढ़ सकती है।
इससे केरल, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दिल्ली जाने वाले यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
कोंडागांव में पुल टूटने से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ीं
कोंडागांव जिले के ग्राम आदनार में लगातार बारिश के कारण ‘बड़को नाला पुलिया’ धंस गई है।
यह पुलिया लिंगोंपथ–मर्दापाल–भाटपाल–नारायणपुर मार्ग को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क पर स्थित है।
जानकारी के अनुसार, यह सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई गई थी।
लगातार बारिश से पुलिया का एक हिस्सा पहले धंसा,
फिर पानी के दबाव में उसका शेष हिस्सा भी टूट गया।
गनीमत रही कि हादसे के समय कोई वाहन पुल पर नहीं था, वरना बड़ा नुकसान हो सकता था।
फिलहाल इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह बंद है और ग्रामीणों को वैकल्पिक रास्तों से आना-जाना पड़ रहा है।
बस्तर के किसानों को भारी नुकसान
‘मोन्था’ के चलते हुई लगातार बारिश ने बस्तर संभाग के किसानों को बड़ा झटका दिया है।
कई जगहों पर खड़ी फसलें झुक गईं, वहीं जिन किसानों ने पहले ही कटाई कर ली थी,
उनके धान के बोरे और फसल के ढेर खेतों में भीगकर खराब हो गए हैं।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कई जगहों पर खेतों में पानी भर जाने से
धान और सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ है।
सरगुजा में दो दिन पहले भी हुई थी बारिश
सरगुजा संभाग के जिलों में दो दिन पहले तेज बारिश हुई थी।
हालांकि अब मौसम सामान्य हो चुका है,
लेकिन तापमान में गिरावट के साथ आर्द्रता (Humidity) 70 प्रतिशत के ऊपर दर्ज की गई है।
अक्टूबर में औसत से 59% ज्यादा बारिश
मौसम विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, इस अक्टूबर में छत्तीसगढ़ में सामान्य से 59 प्रतिशत ज्यादा वर्षा हुई है।
1 से 26 अक्टूबर तक राज्य में 89.4 मिमी बारिश दर्ज की गई,
जबकि इस अवधि की औसत वर्षा 56.2 मिमी होती है।
चूंकि मानसून 15 अक्टूबर तक लौट चुका था,
इसलिए यह बारिश पोस्ट-मानसून रेन (after-monsoon) के रूप में गिनी जा रही है।
फसलों पर असर और किसानों के लिए सलाह
कृषि मौसम केंद्र ने चेतावनी दी है कि
अगले कुछ दिनों में होने वाली बिखरी बारिश और हवाएं
खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
जिन किसानों ने फसल काट ली है, उन्हें सलाह दी गई है कि
धान के बोरे या कटे हुए अनाज को ढककर या सुरक्षित स्थान पर रखें,
ताकि भीगने से फसल सड़ने का खतरा न हो।
सारांश
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‘मोन्था’ अब लो-प्रेशर सिस्टम में बदल गया, तूफान का खतरा नहीं।
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कुछ जिलों में आज गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना।
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रेलवे रूट डायवर्जन से ट्रेनें 29 घंटे तक लेट, यात्रियों को परेशानी।
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कोंडागांव में पुल टूटने से ग्रामीण संपर्क बाधित।
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बस्तर में फसलें खराब, किसानों को भारी नुकसान।
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अक्टूबर में औसत से 59% अधिक वर्षा दर्ज।