छत्तीसगढ़ में NEET-PG काउंसलिंग के दौरान लागू 25 लाख रुपए की जमीन या FD जमा करने के नियम पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कई डॉक्टर्स आगे की पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं क्योंकि उनके पास इतनी संपत्ति ही नहीं है। अब राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि इस नियम में जल्द बदलाव किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि सरकार इस नियम की समीक्षा कर रही है और प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने माना कि यह नियम पिछली सरकार के समय लागू किया गया था, लेकिन अब छात्रों और डॉक्टरों की मुश्किलों को देखते हुए इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
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NEET-PG में सरकारी सेवा कर रहे डॉक्टरों को स्टेट सीट लेने के लिए NOC (No Objection Certificate) जरूरी होता है।
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इसके लिए उन्हें ₹25 लाख की जमीन या FD सुरक्षा जमा (सिक्योरिटी बॉन्ड) के रूप में दिखानी होती है।
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आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आने वाले कई डॉक्टर इस शर्त को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
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नतीजा—वो या तो सीट छोड़ रहे हैं या पढ़ाई का विचार ही छोड़ दे रहे हैं।
स्टूडेंट्स की मुश्किलें – भावनात्मक कहानियां
डॉ लक्ष्य शर्मा, सुकमा (7 महीने सर्विस पर):
“मेरी NEET रैंक 20,000 आई है, PG करना चाहता हूं। लेकिन गांव की जमीन पहले से गिरवी है, FD के लिए पैसे नहीं हैं। घर वालों ने कह दिया – पढ़ाई छोड़ दो, जितना है उतना काफी है।”
डॉ आफरीन खान, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज:
“हम दो साल बॉन्ड सर्विस देने को तैयार हैं, एक साल कर भी चुके हैं। लेकिन 25 लाख की संपत्ति दिखाना हमारे बस में नहीं।”
⚖️ डॉक्टर फेडरेशन का तर्क – ‘यह नियम संविधान के खिलाफ’
छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन ने इस नियम को—
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आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के खिलाफ
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शिक्षा के अधिकार और समान अवसर के संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत बताया है।
फेडरेशन ने यह मांग रखी:
✅– आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों के लिए नोटरीकृत एफिडेविट को विकल्प के रूप में माना जाए।
✅– 25 लाख की सिक्योरिटी शर्त को खत्म या कम किया जाए।
मंत्री ने फेडरेशन को आश्वस्त किया कि उनकी मांगों पर कार्रवाई की जाएगी।
आगे क्या?
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सरकार ने नियमों की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की है।
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जल्द ही छात्रों, मेडिकल संस्थानों और विशेषज्ञों से बातचीत कर नया समाधान निकाला जाएगा।
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उम्मीद है कि बदलाव छात्रों को राहत देगा और PG सीटें खाली नहीं जाएंगी।
✅ निष्कर्ष:
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25 लाख का नियम सिर्फ एक कागज़ी शर्त नहीं, बल्कि कैरियर और सपनों के बीच खड़ी एक दीवार बन चुका है।
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सरकार के संकेत से उम्मीद जगी है कि यह दीवार अब गिर सकती है।