भारतीय फुटबॉल के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) ने बताया कि इंडियन सुपर लीग (ISL) के वाणिज्यिक अधिकार बेचने के लिए जो निविदा प्रक्रिया शुरू की गई थी, उसके लिए अंतिम तारीख तक एक भी बोली नहीं आई। AIFF ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि ISL के वाणिज्यिक अधिकारों का मुद्रीकरण करने के लिए ‘प्रपोज़ल फॉर रिक्वेस्ट (RFP)’ की समय सीमा पूरी हो चुकी है, लेकिन निर्धारित समय में किसी भी संस्था या कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। यह स्थिति न सिर्फ ISL के लिए बल्कि भारतीय फुटबॉल के व्यावसायिक भविष्य के लिए भी चिंता का विषय मानी जा रही है।
महासंघ ने यह भी बताया कि अब बोली मूल्यांकन समिति इस मामले की समीक्षा के लिए सप्ताह के अंत में बैठक करेगी। इस बैठक में यह तय होगा कि आगे की रणनीति क्या होगी, और क्या निविदा प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाए या इसमें कुछ बदलाव किए जाएं। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब AIFF भारतीय फुटबॉल को आर्थिक रूप से स्थिर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
इसी बीच AIFF ने सुपर कप के सेमीफाइनल और फाइनल मैचों की तारीखों की भी घोषणा की। 4 दिसंबर को दो सेमीफाइनल मुकाबले खेले जाएंगे—पहला ईस्ट बंगाल और पंजाब एफसी के बीच, जबकि दूसरा एफसी गोवा और मुंबई सिटी एफसी के बीच होगा। इसके बाद 7 दिसंबर को सुपर कप का फाइनल मैच आयोजित किया जाएगा। हालांकि, ISL के कमर्शियल अधिकारों पर किसी बोली का न आना यह दर्शाता है कि टूर्नामेंट के व्यावसायिक मॉडल को लेकर स्पॉन्सर्स और कंपनियों में अनिश्चितता या संदेह बना हुआ है।
इस घटना ने AIFF को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर फुटबॉल के सबसे बड़े भारतीय टूर्नामेंट के अधिकारों में संभावित निवेशक दिलचस्पी क्यों नहीं ले रहे। यह आने वाले समय में भारतीय फुटबॉल की दिशा और रणनीति दोनों को प्रभावित कर सकता है।