दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (IGI Airport) पर इन दिनों कुछ ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसने देश की विमानन सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। बीते हफ्ते यहां GPS Spoofing यानी नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजकर विमान की नेविगेशन प्रणाली को गुमराह करने की आशंका जताई जा रही है। इसे एक तरह का साइबर हमला भी माना जाता है।
यह पहली बार नहीं है — बीते 16 महीनों में भारत के हवाई क्षेत्र में ऐसी 465 घटनाओं का पता चला है।
क्यों बढ़ी चिंता?
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दिल्ली एयरपोर्ट दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स में गिना जाता है।
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पिछले कुछ दिनों में कई विमानों ने गलत दिशा पकड़ ली या उनकी पोजीशन अचानक गलत दिखाई देने लगी।
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7 विमानों को आपात स्थिति में जयपुर और लखनऊ जैसे दूसरे हवाई अड्डों की ओर मोड़ना पड़ा।
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शुक्रवार को 800 से अधिक उड़ानें देरी से रवाना हुईं, जिसे पहले एटीसी (Air Traffic Control) की तकनीकी खराबी बताया गया।
GPS Spoofing होता क्या है?
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इसमें नकली उपग्रह सिग्नल भेजे जाते हैं।
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विमान का सिस्टम इन फर्जी सिग्नलों को असली समझकर गलत लोकेशन दिखाने लगता है।
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उड़ान का रास्ता भटक सकता है या पायलट को गलत दिशा की जानकारी मिल सकती है।
अधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार को नेविगेशन सिस्टम की क्वालिटी मापने वाला NIC (Navigation Integrity Category) वैल्यू सामान्य स्तर 8 से सीधा 0 पर गिर गया, जो बेहद असामान्य और खतरनाक स्थिति है।
जांच में क्या सामने आया?
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DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने इस घटना पर जांच शुरू कर दी है।
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पायलटों ने बताया कि GPS गड़बड़ी सबसे ज्यादा दिल्ली से 60 नॉटिकल मील (करीब 110 किमी) के दायरे में महसूस की गई।
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शुरुआती जांच में संकेत मिल रहे हैं कि यह समस्या सिर्फ तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि GPS Spoofing से भी जुड़ी हो सकती है।
ILS सिस्टम बंद होने से क्यों बढ़ा जोखिम?
दिल्ली एयरपोर्ट का मुख्य रनवे इस समय अपग्रेड हो रहा है। Instrument Landing System (ILS) कैटेगरी-III में अपग्रेड किया जा रहा है ताकि कोहरे में भी आसानी से विमान उतर सकें।
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जब तक ILS बंद है, विमान सैटेलाइट-आधारित GPS नेविगेशन पर ज्यादा निर्भर हैं।
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इसी वजह से वे स्पूफिंग हमलों के लिए ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
क्या यह साइबर वारफेयर की शुरुआत है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि GPS Spoofing अब सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि भविष्य की एविएशन साइबर वॉर (Air Cyber Warfare) बन सकता है।
यह न केवल उड़ानों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह एयरपोर्ट सिस्टम और नेशनल सिक्योरिटी के लिए भी चुनौती है।
अब आगे क्या?
✔ DGCA और एयरपोर्ट अथॉरिटी ने सैटेलाइट डेटा, ATC रिकॉर्ड और फ्लाइट लॉग की जांच शुरू की है।
✔ सुरक्षात्मक कदम के तौर पर एयरलाइंस को बैकअप नेविगेशन सिस्टम और पायलट्स को Alert Mode में रहने की सलाह दी गई है।
✔ अगर ये साइबर अटैक साबित होता है, तो भारत का यह पहला बड़ा एविएशन साइबर सिक्योरिटी केस होगा।