बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (टर्मिनल-2) पर कुछ लोगों द्वारा खुले में नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद कर्नाटक में सियासी बवाल मच गया है। सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने के बाद भाजपा ने इसे गंभीर सुरक्षा उल्लंघन और तुष्टिकरण की राजनीति बताते हुए राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, कांग्रेस की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
रविवार रात कर्नाटक भाजपा प्रवक्ता विजय प्रसाद ने इस वीडियो को अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर साझा करते हुए सवाल उठाया— “क्या टर्मिनल-2 जैसे हाई सिक्योरिटी जोन में नमाज पढ़ने की कोई आधिकारिक अनुमति ली गई थी?” उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और आईटी मंत्री प्रियंक खड़गे को टैग करते हुए पूछा कि “क्या वे इस तरह की गतिविधि से सहमत हैं? और क्या यह राज्य की सुरक्षा व्यवस्था के लिए चिंता का विषय नहीं है?”
भाजपा का आरोप: ‘एक वर्ग को छूट, दूसरे पर रोक’
विजय प्रसाद ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। उन्होंने कहा, “जब आरएसएस या अन्य हिंदू संगठन सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति मांगते हैं, तो सरकार सवाल उठाती है, लेकिन एयरपोर्ट जैसे प्रतिबंधित क्षेत्र में बिना अनुमति नमाज पढ़ी जा रही है और किसी को रोकने की जरूरत नहीं समझी गई।”
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट तुष्टिकरण की राजनीति है। अगर किसी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाती, तो नियम सब पर समान रूप से लागू होने चाहिए। एयरपोर्ट जैसे संवेदनशील सुरक्षा क्षेत्र में इस तरह का आयोजन न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय है।”
कांग्रेस का मौन, भाजपा का तीखा हमला
कांग्रेस की ओर से अभी तक इस विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के इस मौन को “राजनीतिक सुविधा” बताया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार एक वर्ग को खुश करने के लिए “सुरक्षा नियमों से समझौता” कर रही है।
भाजपा का कहना है कि हवाई अड्डा एक ‘हाई-सिक्योरिटी ज़ोन’ होता है, जहां किसी भी तरह की धार्मिक सभा या आयोजन के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी या CISF की अनुमति जरूरी होती है। भाजपा नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि क्या संबंधित अधिकारियों को इस घटना की जानकारी थी या नहीं।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान से जुड़ा विवाद
यह विवाद उस समय और भी गरम हो गया जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक दिन पहले कहा था कि “राज्य में किसी भी संगठन को सार्वजनिक कार्यक्रम करने से पहले प्रशासन से अनुमति लेना जरूरी है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह आदेश आरएसएस को टारगेट करने के लिए नहीं है। सिद्धारमैया ने कहा, “अगर आरएसएस इसे अपने खिलाफ समझता है, तो हम क्या कर सकते हैं? नियम सबके लिए समान हैं।”
भाजपा नेताओं ने इसी बयान को लेकर मुख्यमंत्री पर पलटवार किया और कहा कि अगर “नियम सबके लिए समान हैं”, तो फिर एयरपोर्ट जैसी जगह पर नमाज पढ़ने की अनुमति कैसे दी गई या फिर किस आधार पर इसे नजरअंदाज किया गया?
राज्य में राजनीतिक तनाव बढ़ा
इस मुद्दे ने कर्नाटक की सियासत में नया तूफान खड़ा कर दिया है। भाजपा इसे ‘कानून और सुरक्षा के साथ समझौता’ बता रही है, जबकि कांग्रेस के भीतर इस पर चुप्पी से कई राजनीतिक संकेत मिल रहे हैं।
राज्य पुलिस और एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अभी तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन भाजपा ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया, तो वह इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी।