दिल्ली का आसमान इन दिनों धुंध और राजनीति दोनों से घिरा हुआ है। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है और राजधानी की हवा दिन-ब-दिन जहरीली होती जा रही है। लेकिन इस बार मुद्दा सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का भी है—और इस पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है।
एक ओर आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली की प्रदूषण समस्या का असली कारण केंद्र की नीतियाँ हैं और बीजेपी इस पर डेटा तक छुपा रही है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पलटवार करते हुए कहा है कि “दिल्ली की हवा में ज़हर भरने वाले खुद AAP के लोग हैं, जो अब दिखावे के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।”
रविवार शाम इंडिया गेट पर कई लोगों ने बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सरकार दिल्ली की हवा सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए। लेकिन यह प्रदर्शन ज़्यादा देर नहीं चला—दिल्ली पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद मंत्री सिरसा ने कहा कि “ये विरोध कोई जनआंदोलन नहीं था, बल्कि AAP का मंचन था। वही लोग जिन्होंने पिछले दस सालों में दिल्ली को इस हालत में पहुंचाया, अब नाटक कर रहे हैं।”
मंत्री सिरसा ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा—“मैं अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि ये प्रदूषण आखिर किसने फैलाया? क्या ये अपने आप हुआ है? आपकी सरकार ने दस साल में दिल्ली को जहरीली हवा का तोहफा दिया है, और अब जब हम उसे साफ करने की कोशिश कर रहे हैं तो आप प्रदर्शन करा रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रदूषण जैसी “सालों पुरानी बीमारी” कुछ महीनों में ठीक नहीं की जा सकती। “पिछले साल दिल्ली का AQI 500 से 1000 के बीच था। रेखा गुप्ता की सरकार आने के बाद अब हम धीरे-धीरे सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं। कूड़े के पहाड़ हटाए जा रहे हैं, ऊँची इमारतों पर एंटी-स्मॉग गन लगाए जा रहे हैं, इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं। यह एक लंबी लड़ाई है और हम दिल्ली की हवा से AAP द्वारा छोड़े गए ज़हर को कम करने में जुटे हैं।”
दिल्ली की हवा पर सियासत का यह धुंधला खेल अब सिर्फ एक पर्यावरण संकट नहीं रहा—यह सत्ता और साख दोनों का सवाल बन गया है। एक तरफ आम आदमी पार्टी केंद्र और बीजेपी पर डेटा छिपाने का आरोप लगा रही है, तो दूसरी ओर बीजेपी सरकार “AAP के 10 साल के प्रदूषण शासन” की सफाई में जुटी है।
अब देखना यह होगा कि दिल्ली की हवा पहले साफ होती है या सियासत की धुंध।