आधार कार्ड की दुनिया अब और ज्यादा डिजिटल हो गई है। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने एक नया मोबाइल एप लॉन्च किया है, जो आधार यूजर्स के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। अब आधार की फिजिकल कॉपी या कार्ड साथ रखने की जरूरत खत्म हो गई है — क्योंकि इस ऐप में आप एक ही फोन में पांच अलग-अलग आधार प्रोफाइल स्टोर कर सकते हैं।
इस नए ऐप की खासियत यह है कि अब आप अपनी पहचान की डिटेल्स सिर्फ उन्हीं तक सीमित रख पाएंगे, जिन्हें आप दिखाना चाहते हैं। यानी अगर आपको सिर्फ नाम और फोटो शेयर करनी है, तो वही जाएगी — पूरी डिटेल नहीं। सबसे खास बात यह है कि जिस तरह आप UPI में QR कोड स्कैन करके पेमेंट करते हैं, ठीक उसी तरह इस ऐप में QR स्कैन करके अपनी आधार डिटेल्स भी शेयर कर सकते हैं।
UIDAI ने इस नए ऐप को पहले से कहीं ज्यादा सिक्योर बनाया है। इसमें फेस ऑथेंटिकेशन, बायोमेट्रिक लॉक और सिक्योर लॉगिन जैसे आधुनिक फीचर्स जोड़े गए हैं। यह नया ऐप पुराने mAadhaar को पूरी तरह रिप्लेस नहीं करता, बल्कि उसके साथ काम करता है। मतलब, कुछ सुविधाओं के लिए आपको पुराना ऐप ही इस्तेमाल करना होगा, जबकि नया ऐप प्राइवेसी-केंद्रित सुविधाओं के लिए खास बनाया गया है।
नए ऐप की मुख्य खूबियाँ:
अब आप अपने फोन में ई-आधार को डिजिटल रूप में हमेशा साथ रख सकते हैं। किसी होटल में चेक-इन करना हो या सिम कार्ड एक्टिवेट करवाना — अब पेपर कॉपी दिखाने की जरूरत नहीं। ऐप को फेस स्कैन या बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से ओपन किया जा सकता है, जिससे डेटा चोरी की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। साथ ही यह ऐप हिंदी और इंग्लिश समेत कई भाषाओं में उपलब्ध है और ऑफलाइन मोड में भी काम करता है — यानी इंटरनेट न होने पर भी आप अपना आधार देख सकेंगे।
पुराने ऐप से नया ऐप अलग क्यों है?
mAadhaar ऐप का उद्देश्य मुख्य रूप से आधार को डाउनलोड या अपडेट करने जैसे कामों के लिए है। जैसे कि PDF डाउनलोड करना, PVC कार्ड ऑर्डर करना या वर्चुअल ID बनाना। जबकि नया ऐप “प्राइवेसी-फर्स्ट” विचार पर आधारित है। इसका मतलब यह है कि यह ऐप केवल वही जानकारी शेयर करेगा, जो उस समय जरूरी हो — बाकी डिटेल्स सुरक्षित रहेंगी।
यूज़र्स को क्या फायदे मिलेंगे:
नया आधार ऐप न सिर्फ उपयोग में आसान है, बल्कि कई स्तरों पर समय और परेशानी दोनों बचाता है। होटल चेक-इन, बैंक KYC या मोबाइल SIM एक्टिवेशन जैसी प्रक्रियाएँ अब पहले से कहीं तेज़ होंगी। परिवार के कई सदस्यों के आधार को एक ही फोन में जोड़ने की सुविधा भी इसमें दी गई है, जिससे सबकी डिजिटल पहचान एक जगह संभाली जा सके। सबसे अहम बात यह है कि सिलेक्टिव शेयरिंग के कारण अब किसी तीसरे पक्ष के पास आपकी पूरी निजी जानकारी नहीं जाएगी।
आधार की यात्रा: पेपर से पूरी तरह डिजिटल तक
आधार की शुरुआत 2009 में हुई थी, और आज यह 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की पहचान का हिस्सा बन चुका है। पहले यह सिर्फ एक पेपर कार्ड था, फिर mAadhaar ऐप के रूप में डिजिटल रूप लिया, और अब यह नया ऐप “डिजिटल इंडिया” की दिशा में एक और मजबूत कदम है। सरकार की मंशा है कि सभी सरकारी और निजी सेवाएँ एक ही डिजिटल पहचान के ज़रिए सुचारू रूप से जुड़ जाएँ।
अब यह कहना गलत नहीं होगा कि “जेब में कार्ड रखने के दिन गए”— क्योंकि अब आपकी पहचान, आपका फोन खुद ही संभाल लेगा।