केरल सरकार और चुनाव आयोग के बीच मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर टकराव अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। राज्य में स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (एलएसजीआई) के चुनाव की प्रक्रिया पहले से जारी है, और इसी बीच चुनाव आयोग ने 4 नवंबर से एसआईआर शुरू कर दिया। केरल सरकार का कहना है कि दोनों प्रक्रियाएं एक साथ चलने से भारी प्रशासनिक दबाव पैदा होगा और चुनाव सुचारू रूप से कराना मुश्किल हो जाएगा। इसी तर्क के आधार पर सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से एसआईआर को फिलहाल रोकने की गुहार लगाई है।
याचिका में राज्य सरकार ने बताया कि केरल में स्थानीय निकायों का ढांचा बेहद व्यापक है—941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायतें, 14 जिला पंचायतें, 87 नगर पालिकाएं और 6 कॉरपोरेशन मिलाकर कुल 1,200 संस्थाएं, जिनमें 23,612 वार्ड आते हैं। इन सभी में स्थानीय निकाय चुनाव दो चरणों में 9 और 11 दिसंबर को होने वाले हैं। दूसरी ओर एसआईआर का ड्राफ्ट 4 दिसंबर को प्रकाशित किया जाना है। सरकार का दावा है कि यह समय संदर्भ चुनावी और प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत जटिल स्थिति पैदा करता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि पंचायत राज अधिनियम के तहत निर्धारित समय पर निकाय चुनाव कराना संवैधानिक दायित्व है, लेकिन एसआईआर को चुनावों के समानांतर चलाने की कोई बाध्यता संविधान में नहीं है। राज्य सरकार ने चुनाव आयोग को 5 नवंबर को पत्र लिखकर एसआईआर को स्थगित करने की मांग भी की थी, पर आयोग की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया। सरकार ने स्पष्ट किया कि निकाय चुनावों के लिए 1.76 लाख कर्मचारियों और 68 हजार सुरक्षाकर्मियों की जरूरत पड़ेगी, जबकि एसआईआर के लिए अतिरिक्त 25,668 कर्मियों की मांग होगी। यह संयुक्त दबाव सामान्य प्रशासन को ठप कर सकता है और कई आवश्यक सेवाओं पर असर डाल सकता है।
उधर, केरल हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते सरकार की याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। दिलचस्प बात यह है कि एक दिन पहले ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी इसी नोटिफिकेशन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस तरह एसआईआर पर विवाद राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर गर्माता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अब यह तय करेगा कि केरल में मतदाता सूची संशोधन और निकाय चुनाव की दो समानांतर प्रक्रियाएं एक साथ आगे बढ़ेंगी या नहीं।