केंद्र सरकार आने वाले वित्त वर्ष के बजट में यह साफ संकेत देने जा रही है कि फिलहाल उसकी पहली प्राथमिकता तेज आर्थिक विकास है, न कि राजकोषीय घाटे में आक्रामक कटौती। शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक, FY27 के लिए फिस्कल डेफिसिट 4.1–4.2% के बीच रखा जा सकता है, जो FY26 के 4.4% लक्ष्य से सिर्फ 20–30 बेसिस पॉइंट कम होगा। सरकार का मानना है कि मौजूदा वैश्विक माहौल में बड़े पैमाने पर खर्च में कमी करना अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा देगा, इसलिए घाटा कम करने की प्रक्रिया को धीरे-धीरे आगे बढ़ाना ही बेहतर है।
साल 2027 की ग्रोथ को लेकर सरकार उम्मीदों से भरी है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट है कि बाहरी परिस्थितियां अब भी मजबूत दबाव बनाए हुए हैं। यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि भारत 6% से ऊपर की ग्रोथ तभी छू पाएगा जब अमेरिका अपने टैरिफ को 25% या उससे कम पर लाए—एक ऐसा कदम जिस पर आने वाले हफ्तों में कुछ सकारात्मक संकेत मिल सकते हैं। RBI पहले ही FY26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ 6.8% रहने का अनुमान दे चुका है, जो FY25 की 6.5% वृद्धि से अधिक है। इस परिदृश्य के बीच सरकार यह समझती है कि आने वाले वर्षों में भी विकास का समर्थन लगातार जारी रखना होगा।
कैपिटल व्यय यानी कैपेक्स को लेकर सरकार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है—FY27 में कैपेक्स में कमी नहीं की जाएगी। FY25 और FY26 में कैपेक्स-टू-GDP अनुपात लगभग 3.1% रखा गया है और उम्मीद है कि अगले साल भी इसे बनाए रखा जाएगा। विशेषज्ञ लंबे समय से कह रहे हैं कि अगर भारत को उच्च विकास बनाए रखना है, तो कैपेक्स में निरंतर वृद्धि बेहद जरूरी है, भले ही इसके बदले घाटा कम होने की रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाए।
राजकोषीय स्थिति पर नजर डालें तो सरकार ने पिछले कुछ सालों में घाटे को तेज गति से घटाया है—FY21 में 9.2% से FY24 में 5.6% और फिर FY25 में 4.8% तक। लेकिन अब घाटा और नीचे लाने के लिए कैपेक्स में कटौती करनी पड़ेगी, जिसे सरकार किसी भी कीमत पर टालना चाहती है। दीर्घकालिक लक्ष्य के रूप में केंद्र का मकसद 2031 तक कर्ज-से-GDP अनुपात को 50% पर लाना है। FY25 में यह 57.1% था, जबकि FY26 में 56.1% रहने का अनुमान है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, 4.1–4.2% का फिस्कल डेफिसिट लक्ष्य न केवल सुरक्षित सीमा के भीतर है, बल्कि देश के लंबे आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त भी है। यानी सरकार एक संतुलित नीति अपना रही है—जहां विकास को गति भी मिले और वित्तीय स्थिरता भी कायम रहे। आने वाला बजट इसी संतुलित दृष्टिकोण को सामने रखकर तैयार किया जा रहा है।