इंटरनेट का ‘चौकीदार’ क्लाउडफ्लेयर कैसे ठप पड़ा: 4 घंटे तक X, वॉट्सऐप, चैटजीपीटी और कैनवा बंद रहे; सालों पुराना छुपा बग निकला असली वजहइंटरनेट का ‘चौकीदार’ क्लाउडफ्लेयर कैसे ठप पड़ा: 4 घंटे तक X, वॉट्सऐप, चैटजीपीटी और कैनवा बंद रहे; सालों पुराना छुपा बग निकला असली वजह

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मंगलवार शाम कई लोगों के फोन अचानक अजीब तरह से व्यवहार करने लगे। राहुल जब X स्क्रॉल कर रहा था तो स्क्रीन पर सिर्फ खालीपन दिखाई दे रहा था। चैटजीपीटी ने रेसिपी बताने के बजाय “समथिंग वेंट रॉन्ग” दिखाया, तो उसे लगा शायद नेटवर्क की समस्या है या उसके फोन में ही कुछ गड़बड़ हो गई है। इसी दौरान मुंबई में प्रिया कैनवा पर अपना असाइनमेंट फाइनल कर रही थी, लेकिन अचानक कैनवा भी बंद हो गया। वाई-फाई ऑन-ऑफ किया, मोबाइल रीस्टार्ट किया, लेकिन कुछ काम नहीं आया। बाद में उसने दोस्त को फोन किया तो उसे भी यही समस्या हो रही थी।

धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगा कि मामला सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित नहीं है। दुनिया भर के यूज़र्स सोशल मीडिया पर इसी तरह की शिकायतें कर रहे थे। पता चला कि इंटरनेट का बड़ा हिस्सा जिस टेक कंपनी पर निर्भर करता है—क्लाउडफ्लेयर—वहीं पर कोई बड़ी तकनीकी गड़बड़ी हुई है। क्लाउडफ्लेयर को अक्सर इंटरनेट का “चौकीदार” कहा जाता है, क्योंकि लाखों वेबसाइट्स का डेटा इसी के नेटवर्क से होकर गुजरता है।

लेकिन सवाल यह था कि इतनी बड़ी कंपनी आखिर एक साथ कैसे फेल हो सकती है? क्लाउडफ्लेयर ने घटना के कुछ ही घंटों बाद अपने ब्लॉग पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की और माना कि यह कोई साइबर हमला नहीं था, बल्कि सिस्टम में छुपा हुआ एक पुराना बग रूटीन अपडेट की वजह से अचानक सक्रिय हो गया था।

क्लाउडफ्लेयर के CTO डेन नीक्ट के अनुसार, कंपनी ने अपने डेटाबेस में रूटीन परमिशन से जुड़ा एक छोटा बदलाव किया था। इसी के बाद उनका बॉट प्रोटेक्शन सिस्टम गलत कॉन्फिगरेशन तैयार करने लगा। कॉन्फिग फाइल का साइज अचानक दोगुना हो गया। यह फाइल जब क्लाउडफ्लेयर के विशाल ग्लोबल नेटवर्क में वितरित हुई, तो हजारों सर्वर इस असामान्य रूप से बड़ी फाइल को संभाल नहीं पाए और एक-एक कर क्रैश होने लगे। चूंकि यह फाइल हर कुछ मिनट में रीजनरेट हो रही थी, इसलिए समस्या लगातार दोहराती रही। उसी दौरान उपयोगकर्ताओं को जगह-जगह 500 एरर मैसेज दिखाई दे रहे थे। शाम करीब पाँच बजे शुरू हुई यह समस्या रात नौ बजे के आसपास धीरे-धीरे ठीक हुई।

इस आउटेज का असर विशाल था। क्लाउडफ्लेयर दुनिया की लगभग 20 प्रतिशत वेबसाइट्स को कंटेंट डिलीवरी, सुरक्षा और रूटिंग सुविधाएँ देता है। अनुमान है कि करीब 1.4 करोड़ वेबसाइट्स प्रभावित हुईं। X, चैटजीपीटी, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम, स्पॉटिफाई, कैनवा, क्लॉड AI, उबर, जूम जैसी दुनिया की बड़ी सेवाएँ इस दौरान धीमी या पूरी तरह बंद रहीं। इंटरनेट के हर पाँच में से एक पेज सीधे-सीधे क्लाउडफ्लेयर पर निर्भर होने के कारण प्रभाव दुनिया भर में महसूस हुआ।

क्लाउडफ्लेयर ने आउटेज के बाद तीन बड़े सुधारों की घोषणा की है। पहला—कॉन्फिग फाइलों के साइज पर स्वचालित सीमा लागू की जाएगी ताकि भविष्य में कोई फाइल असामान्य रूप से बड़ी न हो सके। दूसरा—सिस्टम में छिपे हुए लेटेंट बग्स खोजने के लिए एक नया और अधिक उन्नत टेस्टिंग फ्रेमवर्क बनाया जाएगा। और तीसरा—प्रॉक्सी सर्विस के किसी भी नए वर्जन को रोलआउट करने से पहले उसे और सख्त टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजारा जाएगा।

क्लाउडफ्लेयर अपने आप को “इंटरनेट का इम्यून सिस्टम” बताता है। यह कंपनी वेबसाइट सुरक्षा, डेटा सेंटर सेवाओं, ईमेल सुरक्षा, डेटा लॉस प्रिवेंशन और अरबों साइबर अटैक को रोजाना ब्लॉक करने जैसे काम करती है। विशाल ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से दुनिया का इंटरनेट ट्रैफिक तेज और सुरक्षित बना रहता है। हर तिमाही में कंपनी 500 मिलियन डॉलर से ज्यादा कमाती है और इसके तीन लाख से अधिक ग्राहक विश्वभर में फैले हुए हैं। 125 देशों में अपनी सर्विस चलाने वाली इस कंपनी में एक छोटे से परमिशन बदलाव ने इंटरनेट की रीढ़ हिला दी और दुनिया को दिखा दिया कि डिजिटल दुनिया कितनी आपस में जुड़ी हुई है।

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