ऑनलाइन शॉपिंग में नहीं वसूले जाएंगे हिडन चार्ज! फ्लिपकार्ट–मिंत्रा, जोमेटो–स्विगी समेत 26 प्लेटफॉर्म अब ‘डार्क पैटर्न फ्री’

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डिजिटल मार्केट में पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए देश के 26 प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने घोषणा की है कि वे अब अपने ऐप्स और वेबसाइट्स पर किसी भी तरह का ‘डार्क पैटर्न’ इस्तेमाल नहीं करेंगे। इन कंपनियों ने इंटरनल या थर्ड-पार्टी ऑडिट पूरा करने के बाद सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) को सेल्फ-डिक्लेरेशन लेटर सौंपकर यह वादा किया है। इनमें फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, जोमेटो, स्विगी जैसे बड़े नाम शामिल हैं, जो ग्रॉसरी, फूड डिलीवरी, फैशन, फार्मेसी और ट्रैवल जैसे अलग-अलग सेगमेंट से आते हैं।

इन कंपनियों ने अपनी वेबसाइट्स पर यह डिक्लेरेशन भी सार्वजनिक कर दिया है, ताकि ग्राहक स्वयं देख सकें कि उनके प्लेटफॉर्म पर कौन-कौन सी ट्रिक्स हटाई गई हैं। उपभोक्ता मंत्रालय ने इसे डिजिटल उपभोक्ता सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है, जो बाकी कंपनियों को भी सेल्फ-रेगुलेशन के लिए प्रेरित करेगा।

डार्क पैटर्न आखिर होते क्या हैं?
डार्क पैटर्न्स वे डिजिटल ट्रिक्स हैं, जिनसे ग्राहक को गुमराह किया जाता है। जैसे—
अचानक स्क्रीन पर “स्टॉक खत्म होने वाला है” जैसी फेक अर्जेंसी दिखाना,
बिना बताए कार्ट में एक्स्ट्रा आइटम जोड़ देना,
ऐसा इंटरफेस बनाना जो ग्राहक को मजबूरी में सब्सक्रिप्शन लेने पर मजबूर करे,
या फिर कीमत धीरे-धीरे बढ़ाते हुए ‘हिडन चार्जेस’ जोड़ देना।

2023 में जारी गाइडलाइंस में कुल 13 डार्क पैटर्न्स को प्रतिबंधित किया गया। इनमें फॉल्स अर्जेंसी, कन्फर्म शेमिंग, बास्केट स्नीकिंग, ड्रिप प्राइसिंग, इंटरफेस इंटरफियरेंस, बेट-एंड-स्विच, फोर्स्ड एक्शन, सब्सक्रिप्शन ट्रैप, डिस्गाइज्ड ऐड्स, ट्रिक वर्डिंग, नेगिंग, SAAS बिलिंग और रोग मैलवेयर जैसे पैटर्न शामिल हैं। ये सभी ट्रिक्स कंज्यूमर को भ्रमित कर अनचाहा प्रोडक्ट खरीदवाने या सब्सक्रिप्शन में फंसाने के लिए इस्तेमाल की जाती थीं।

कौन-कौन सी कंपनियां हुईं ‘डार्क पैटर्न फ्री’?
CCPA को अब तक 26 प्लेटफॉर्म्स से सेल्फ-डिक्लेरेशन मिला है। यह सूची ई-कॉमर्स, फूड डिलीवरी, फार्मेसी, फैशन, ट्रैवल और सर्विस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों का मिश्रण है। इन सभी ने दावा किया है कि उनकी वेबसाइट्स और ऐप्स अब उपभोक्ता को गुमराह करने वाले किसी भी पैटर्न का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

सरकार ने क्यों दिया था निर्देश?
जून 2025 में डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को 3 महीने के भीतर खुद का सेल्फ-ऑडिट करने और ‘डार्क पैटर्न फ्री’ डिक्लेरेशन जमा करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन ने व्यापक कैंपेन चलाया—सोशल मीडिया पोस्ट, वर्कशॉप्स और वीडियो के जरिए। मकसद यह था कि ग्राहक खुद समझें कि डार्क पैटर्न क्या होते हैं और कैसे पहचानें।

CCPA ने इस कदम को डिजिटल मार्केट में एक ‘मिसाल’ बताया है और बाकी कंपनियों को भी इसे लागू करने का आग्रह किया है। यदि कोई कंपनी निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं करती, तो आगे चलकर रेगुलेटरी एक्शन भी संभव है।

कंज्यूमर्स को कैसे मिलेगा फायदा?
फिलहाल कंपनियों ने स्वेच्छा से खुद को डार्क पैटर्न फ्री घोषित किया है, लेकिन भविष्य में सरकार इस पर सख्त नियम भी लागू कर सकती है। इससे ग्राहकों को ऑनलाइन शॉपिंग करते समय—
अनावश्यक हिडन चार्जेस,
फेक अर्जेंसी,
भ्रमित करने वाली जानकारी,
अनचाहे सब्सक्रिप्शन,
और ट्रिक वर्डिंग—
इन सब परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।

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