यूरोपीय यूनियन के नए नियमों के अनुरूप रिलायंस ने एक्सपोर्ट यूनिट में रूसी क्रूड का इस्तेमाल रोक दिया—घरेलू सप्लाई के लिए रूसी तेल का उपयोग जारी रहेगा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने यूरोपीय यूनियन के सख्त सैंक्शन्स को ध्यान में रखते हुए अपनी रिफाइनिंग रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। कंपनी ने घोषणा की कि जामनगर की एक्सपोर्ट ओनली SEZ रिफाइनरी में अब रूसी क्रूड का उपयोग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। 20 नवंबर से यहां रूसी तेल का आयात रोक दिया गया और 1 दिसंबर से इस यूनिट से निकलने वाला हर प्रोडक्ट नॉन-रशियन क्रूड से बनेगा। यह कदम सुनिश्चित करता है कि EU के नए नियम लागू होने पर रिलायंस की यूरोपीय मार्केट में बिक्री पर कोई असर न पड़े।
जामनगर कॉम्प्लेक्स में रिलायंस की दो रिफाइनरियां हैं—एक SEZ यूनिट जो केवल एक्सपोर्ट के लिए है और दूसरी घरेलू बाज़ार के लिए। SEZ यूनिट में अभी तक जो पुराना रूसी क्रूड इन्वेंट्री मौजूद था, उसकी प्रोसेसिंग जारी है। जैसे ही यह स्टॉक खत्म होगा, एक्सपोर्ट के लिए केवल नॉन-रशियन क्रूड से उत्पाद तैयार होंगे। हालांकि घरेलू सप्लाई के लिए रूसी तेल का इस्तेमाल जारी रहेगा, क्योंकि उस पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है।
रिलायंस के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि 22 अक्टूबर तक बुक किए गए रूसी क्रूड कार्गो को कंपनी ऑनर कर रही है। अंतिम कार्गो 12 नवंबर को लोड हुआ, जिसके बाद 20 नवंबर से SEZ रिफाइनरी की ओर रूसी क्रूड भेजना बंद कर दिया गया। अब आने वाला सारा रूसी तेल केवल घरेलू उपयोग वाली DTA रिफाइनरी में प्रोसेस किया जाएगा।
रूस के खिलाफ यूरोपीय यूनियन के सैंक्शन्स इस फैसले के केंद्र में हैं। EU ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस की तेल-आधारित आय रोकने के लिए जनवरी 2026 से एक बड़ा प्रतिबंध लागू किया है, जिसके तहत रूसी क्रूड या उससे बने किसी भी प्रोडक्ट को यूरोप में बेचना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। चूंकि रिलायंस की SEZ रिफाइनरी यूरोप को भारी मात्रा में पेट्रोल-डीजल एक्सपोर्ट करती है, इसलिए कंपनी के लिए इन सैंक्शन्स का पालन करना अनिवार्य हो गया।
अगर रिलायंस इस नियम की अनदेखी करती, तो जनवरी 2026 के बाद उसका कोई भी रूसी क्रूड से तैयार उत्पाद यूरोप में नहीं बिक सकता था। इससे हर महीने होने वाला अरबों रुपये का निर्यात नुकसान कंपनी के लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित होता। यही वजह है कि कंपनी ने समय रहते अपनी रणनीति बदल दी है।
कुल मिलाकर, रिलायंस का यह निर्णय वैश्विक बाज़ार के बदलते नियमों के अनुरूप एक व्यावहारिक और दूरदर्शी कदम है—जहां एक्सपोर्ट यूनिट पूरी तरह नॉन-रशियन क्रूड पर शिफ्ट होगी, वहीं घरेलू रिफाइनरी में सस्ते रूसी तेल का इस्तेमाल जारी रहेगा।