आधार-लिंक्ड नाम सीधे फोन स्क्रीन पर—स्पैम, फ्रॉड और फर्जी कॉल रोकने के लिए बड़ा कदम; जानें कैसे काम करेगा CNAP सिस्टम।
अगर आपके फोन पर अचानक किसी अनजान कॉलर का नाम दिखाई देने लगे—वह भी बिना ट्रूकॉलर जैसे किसी ऐप का इस्तेमाल किए—तो समझ जाइए कि सरकार का नया CNAP सिस्टम आपके नंबर पर एक्टिव हो चुका है। देश के चुनिंदा सर्किलों में इसकी टेस्टिंग शुरू कर दी गई है, और टेलीकॉम कंपनियां इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू कर रही हैं। यह सिस्टम आने वाले समय में स्पैम और फ्रॉड कॉल रोकने में बेहद कारगर साबित होगा।
CNAP, यानी Calling Name Presentation, एक ऐसा सरकारी कॉलर आईडी सिस्टम है, जो कॉल आने पर कॉलर का आधार से लिंक्ड असली नाम दिखाता है। यानी जिस नाम से नंबर रजिस्टर्ड है, वही स्क्रीन पर सबसे पहले दिखाई देगा। इसके बाद आपके फोन में सेव किया हुआ नाम दिखेगा। उदाहरण के लिए—अगर आपने अपनी मां के नाम को ‘मॉम’ सेव किया है, तो पहले आधार वाला नाम दिखेगा और फिर ‘मॉम’।
यही चीज इसे ट्रूकॉलर से अलग बनाती है। ट्रूकॉलर क्राउडसोर्स्ड डेटा पर चलता है, जो कभी गलत भी हो सकता है। लेकिन CNAP में डाटा सीधे सरकारी रिकॉर्ड से आता है, इसलिए भरोसेमंद है और किसी थर्ड पार्टी ऐप की भी जरूरत नहीं।
बड़ी टेलीकॉम कंपनियां—जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया—इसे मुंबई और हरियाणा जैसे सर्किलों में पहले ही ट्रायल कर चुकी हैं। TRAI ने 29 अक्टूबर को इस सिस्टम को मंजूरी दे दी, जिसके बाद अब इसका नेशनल रोलआउट शुरू हो चुका है। डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना और फर्जी कॉल्स रोकना इसका प्रमुख उद्देश्य है।
यूजर्स के लिए यह सिस्टम कई तरीकों से फायदेमंद है। अनजान कॉल का भरोसा बढ़ेगा, स्पैमर्स और फ्रॉड कॉलर्स आसानी से पहचान में आ जाएंगे और बुजुर्गों व महिलाओं के लिए सुरक्षा और बढ़ जाएगी। कॉलिंग में पारदर्शिता आएगी और टेलीकॉम सेक्टर पर भरोसा बढ़ेगा।
यह कदम इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि देशभर में डिजिटल अरेस्ट, कस्टमर-केयर फ्रॉड, बैंक धोखाधड़ी और लोन-ऐप स्कैम तेजी से बढ़े हैं। CNAP कॉल उठाने से पहले ही यह बता देगा कि फोन किसके नाम से रजिस्टर्ड है, और इस तरह फर्जी कॉल पहचानना आसान हो जाएगा।
हालांकि कुछ श्रेणियों को इससे छूट मिली है—जैसे CLIR (Calling Line Identification Restriction) सुविधा वाले नंबर, जो सामान्य उपभोक्ताओं, खुफिया एजेंसियों और महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारियों को दिए जाते हैं। लेकिन कॉल सेंटर, टेलीमार्केटर और बल्क कनेक्शन इसका फायदा नहीं ले सकेंगे।
स्पैम कॉलों से जुड़े सवालों के जवाब भी साफ हैं। स्पैम कॉल वे होते हैं, जिन्हें बिना आपकी अनुमति के लोन, बीमा, ऑफर, लॉटरी या विज्ञापन के नाम पर किया जाता है। स्पैम कॉल ज्यादा उन लोगों को आते हैं जो कॉल उठाते हैं और जवाब देते हैं, जिससे उनका नंबर कंपनियों की लिस्ट में सक्रिय माना जाता है।
आपका नंबर इन कंपनियों तक कैसे पहुंचता है? ज्यादातर लोग जाने-अनजाने खुद ही इसे साझा करते हैं—सोशल मीडिया अकाउंट बनाते समय, ऐप डाउनलोड करते समय, वेबसाइट पर खरीदारी करते समय, या बिना सोचे-समझे अपना नंबर कहीं भी डाल देने पर। कई कंपनियां आपका डेटा थर्ड पार्टी को बेच देती हैं और फिर वहीं से स्पैम कॉल शुरू होते हैं।
यदि कोई स्पैम कॉल उठ जाए तो सतर्क रहना जरूरी है—किसी भी सवाल का “हां” या “ना” में जवाब देने से बचें, कोई पर्सनल जानकारी साझा न करें, और अगर कोई कॉलर खुद को बैंक या सरकारी अधिकारी बताकर आपसे जानकारी मांगे तो तुरंत फोन काटकर आधिकारिक नंबर पर स्वयं संपर्क करें।
कुल मिलाकर CNAP आधुनिक समय की जरूरत है—जहां हर कॉल का असली चेहरा सामने आएगा और डिजिटल फ्रॉड पर लगाम कसना आसान होगा।