साल 2025 ने दुनिया को दिखा दिया कि इंटरनेट जितना ताकतवर है, उतना ही नाज़ुक भी। इस साल दुनिया भर में इतने बड़े-बड़े आउटेज हुए कि डिजिटल सिस्टम घंटों—कई जगहों पर दिनों तक—ठप पड़ा रहा। क्लाउडफेयर, AWS, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल क्लाउड, जूम जैसी कंपनियों के भारी सर्वर फेल्योर ने बिज़नेस से लेकर सरकारी कामकाज तक सब कुछ हिला दिया। लाखों यूज़र्स अचानक इंटरनेट डार्कनेस में फंस गए, जहां न वेबसाइट खुल रही थी न ऐप्स काम कर रही थीं।
इन आउटेज ने साफ कर दिया कि दुनिया की डिजिटल रीढ़ अभी भी छोटी-सी गड़बड़ी से टूट सकती है। DNS की खराबियों से लेकर गलत कॉन्फ़िगरेशन, सॉफ्टवेयर अपडेट की नाकामी और साइबर अटैक जैसे कारण इसके पीछे रहे। 2025 की ये घटनाएं बताती हैं कि इंटरनेट का नेटवर्क जितना विशाल है, उसकी कमजोरियां भी उतनी ही गहरी हैं।
सबसे बड़ा झटका 18 नवंबर 2025 को लगा, जब भारतीय समयानुसार शाम 4:50 बजे क्लाउडफेयर की एक बड़ी तकनीकी खामी ने दुनियाभर की वेबसाइटों को ठप कर दिया। अचानक स्क्रीन पर सिर्फ एरर पेज दिखाई देने लगे। स्पॉटिफाई, चैटजीपीटी, ट्रुथ सोशल से लेकर कई-कई मीडिया और ई-कॉमर्स साइट्स एक झटके में बंद हो गईं। भारत में तो लाखों यूज़र्स घंटों तक इंटरनेट पर कुछ भी एक्सेस नहीं कर पाए। सेवाएं धीरे-धीरे बहाल तो हुईं, लेकिन अगले दिन तक भी कई वेबसाइटें या तो बेहद धीमी थीं या फिर बिल्कुल नहीं खुल रही थीं।
इन घटनाओं से दुनिया ने एक बार फिर महसूस किया कि तकनीक जितनी मजबूत दिखाई देती है, उसके अंदर मौजूद छोटी-सी गड़बड़ी भी पूरी प्रणाली को रोक सकती है। 2025 का साल इसी चेतावनी की कहानी बन गया—जहां आउटेज ने दुनिया को मजबूर किया कि डिजिटल सुरक्षा और स्थिरता पर नए सिरे से सोचा जाए।