छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने एक नया निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार अब स्कूल परिसरों और उनके आसपास मौजूद आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी स्कूल प्रिंसिपल संभालेंगे। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों के अनुपालन में उठाया गया है। विभाग ने सभी स्कूलों को तुरंत सुरक्षा उपाय लागू करने के निर्देश दिए हैं ताकि बच्चों को किसी भी तरह की दुर्घटना से बचाया जा सके।
आदेश में कहा गया है कि हर स्कूल के प्रिंसिपल या संस्था प्रमुख को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। यह अधिकारी स्कूल परिसर में आवारा कुत्तों की उपस्थिति पर नजर रखेंगे और घटना की तुरंत रिपोर्टिंग करेंगे।
आवारा कुत्ता दिखते ही देना होगी सूचना
यदि स्कूल के अंदर या आसपास कोई आवारा कुत्ता दिखाई देता है, तो नोडल अधिकारी को तुरंत संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग-कैचर अधिकारी को इसकी जानकारी देनी होगी।
स्कूलों को यह भी कहा गया है कि वे कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए आवश्यक सुरक्षा इंतजाम—जैसे गेट, जाली या बैरिकेड—स्थापित करें।
अगर किसी बच्चे को कुत्ता काट लेता है, तो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी होगी कि बच्चे को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर प्राथमिक उपचार और समय पर वैक्सीनेशन दिलाया जाए। विभाग का कहना है कि इन उपायों से सभी स्कूलों में छात्रों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित होगा।
कांग्रेस ने कहा—शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ, सरकार शिक्षा से ध्यान हटा रही है
कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले को लेकर सरकार पर निशाना साधा और इसे शिक्षकों पर अनावश्यक जिम्मेदारी का बोझ बताया।
राज्य कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा—
“आवारा जानवरों का प्रबंधन स्पष्ट रूप से नगर निगम और पंचायतों की जिम्मेदारी है। उनके पास डॉग कैचर, उपकरण और प्रशिक्षित कर्मचारी होते हैं। फिर स्कूल शिक्षकों पर यह जिम्मेदारी क्यों डाली जा रही है?”
उन्होंने आगे कहा—
“शिक्षकों को पहले ही SIR और चुनावी कामों में BLO जैसी भूमिकाएँ दी जा रही हैं। अब इस तरह की जिम्मेदारियां देने से स्कूलों में पढ़ाई पर सीधा असर पड़ रहा है। लगता है सरकार की प्राथमिकता शिक्षा नहीं है।”