छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रमुख अमित बघेल की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। विवादित बयानों के चलते सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बघेल को सोमवार को कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा। अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कर दिया कि उन्हें किसी भी तरह की राहत नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जहां-जहां उनके खिलाफ FIR दर्ज है, वहां उन्हें स्थानीय कानूनी प्रक्रिया का सामना करना ही पड़ेगा। सभी FIR को एक साथ क्लब करने की उनकी मांग को भी अदालत ने सख्ती से ठुकरा दिया।
पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा—
“अपनी जुबान पर नियंत्रण रखिए। राज्य की पुलिस आएगी और आपको आपके-आपके राज्यों में लेकर जाएगी। पूरे देश की सैर का आनंद लीजिए।”
बताया जा रहा है कि अमित बघेल पिछले 26 दिनों से फरार हैं, और उन पर 12 राज्यों में कई FIR दर्ज हैं।
वकील की दलील—‘गुस्से में बयान दिया था’ | कोर्ट का इंकार
सुनवाई के दौरान बघेल के वकील ने दलील दी कि उनका बयान स्वीकार्य नहीं था, लेकिन वह गुस्से में दिया गया था और किसी समुदाय की भावनाएं आहत करने का इरादा नहीं था।
उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि चूंकि छत्तीसगढ़ में पहले से पाँच FIR दर्ज हैं, बाकी राज्यों की FIR वहीं ट्रांसफर कर दी जाएं।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी, और आरोपी को हर राज्य में दर्ज FIR के तहत कार्रवाई झेलनी होगी।
देशभर में विरोध, कई राज्यों में दर्जनभर से ज्यादा FIR
कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बघेल के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं।
सिंधी समाज ने उनके बयान पर राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया, पुतले जलाए और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन सौंपा। समुदाय का आरोप है कि बघेल ने सिंधी समाज को “पाकिस्तानी” कहकर अपमानित किया और धार्मिक आस्था पर टिप्पणी की।
क्या थी विवादित टिप्पणी?
छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़फोड़ के बाद 27 अक्टूबर को बघेल ने अग्रसेन महाराज और सिंधी समाज के इष्ट देवता झूलेलाल को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की।
उन्होंने कहा था—
“कौन हैं अग्रसेन महाराज? चोर है या झूठा है? पाकिस्तानी सिंधी क्या जानते हैं मछली वाले भगवान के बारे में… उन्होंने हमारी छत्तीसगढ़ी महतारी का अपमान किया है।”
इसके बाद अग्रवाल समाज और सिंधी समाज ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किए और FIR दर्ज कराने की मांग की।
मूर्ति विवाद कैसे शुरू हुआ?
26 अक्टूबर 2025 को रायपुर के VIP चौक पर छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़फोड़ की गई।
अगले दिन क्रांति सेना मौके पर पहुंची और पुलिस से तीखी झड़प भी हुई। बाद में मूर्ति को पुनः स्थापित कर दिया गया।
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी मानसिक रूप से बीमार था और नशे में मूर्ति तोड़ बैठा।
समाजों की नाराज़गी और शिकायतें
अग्रवाल समाज और सिंधी समाज ने अमित बघेल की टिप्पणियों को गंभीर अपमान बताया।
छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत के सलाहकार अनूप मसंद ने बताया कि समाज ने बैठक कर सर्वसम्मति से FIR दर्ज कराने का फैसला लिया और सिटी कोतवाली में रिपोर्ट लिखाई।
छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा—राज्य की सांस्कृतिक पहचान
तेलीबांधा तालाब के पास स्थित छत्तीसगढ़ महतारी उद्यान में मुख्य प्रतिमा 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्थापित की थी। इसके बाद राज्य के 33 जिलों में भी इसी स्वरूप की प्रतिमाएं लगाने की योजना बनी।
प्रतिमा में परंपरागत छत्तीसगढ़ी वेशभूषा (लुगरा), आभूषण, हाथ में धान की बालियां (कृषि परंपरा का प्रतीक) और दीपक (ज्ञान, समृद्धि और शांति का प्रतीक) दिखाया गया है।