शिल्पा शेट्टी पहुंचीं बॉम्बे हाई कोर्ट: डीपफेक और मॉर्फ्ड कंटेंट के बढ़ते खतरे के बीच पर्सनैलिटी राइट्स की सुरक्षा की मांग

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डिजिटल दौर में जहां एआई और डीपफेक तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है, वहीं फिल्मों और मनोरंजन जगत के सितारे अपनी पहचान के दुरुपयोग को लेकर अब पहले से कहीं अधिक सतर्क हो गए हैं। इसी कड़ी में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने भी अपनी पर्सनैलिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाल के कुछ महीनों में सोशल मीडिया और विभिन्न वेबसाइटों पर उनके नाम, फोटो और वीडियो का बिना अनुमति इस्तेमाल होता रहा है, साथ ही उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाले कई मॉर्फ्ड और डीपफेक कंटेंट भी वायरल हुए। इस बढ़ते दुरुपयोग ने शिल्पा को कानूनी कदम उठाने के लिए मजबूर किया।

शिल्पा की ओर से याचिका दायर करने वाली अधिवक्ता सना रईस खान ने बताया कि अभिनेत्री ने वर्षों की मेहनत से अपनी पहचान, प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता बनाई है और किसी भी व्यक्ति या संस्था को उनके नाम, चेहरे या तस्वीर का व्यावसायिक फायदा उठाने का कोई अधिकार नहीं है। खान के अनुसार, बिना अनुमति कमाई करने वाले ऐसे प्लेटफॉर्म और अकाउंट न सिर्फ शिल्पा के पब्लिसिटी राइट्स का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि उनकी गरिमा और पेशेवर छवि को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही वजह है कि कोर्ट में याचिका दायर कर शिल्पा ने अपनी पहचान के अनाधिकृत उपयोग पर रोक लगाने की मांग की है।

बीते महीनों में पर्सनैलिटी राइट्स को लेकर कई नामचीन हस्तियां भी अदालत का सहारा ले चुकी हैं। ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिषेक बच्चन, अमिताभ बच्चन, करण जौहर, ऋतिक रोशन, जया बच्चन, ऋषभ शेट्टी और अक्किनेनी नागार्जुन जैसे सितारे पहले ही अपनी छवि, आवाज़ और पहचान के व्यावसायिक दुरुपयोग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर चुके हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट कई मामलों में स्पष्ट आदेश दे चुका है कि किसी सेलिब्रिटी के नाम, आवाज़, फोटो या हस्ताक्षर का बिना अनुमति इस्तेमाल अवैध है और इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।

पर्सनैलिटी राइट्स की अवधारणा किसी व्यक्ति को यह कानूनी अधिकार देती है कि वह अपनी पहचान के किसी भी हिस्से—जैसे नाम, छवि, आवाज़, हस्ताक्षर या दृश्य पहचान—के उपयोग पर नियंत्रण रख सके। इन्हें दो महत्वपूर्ण श्रेणियों में बांटा जाता है। पहली है ‘राइट ऑफ पब्लिसिटी’, जिसके तहत किसी भी सेलिब्रिटी के नाम या चेहरे का विज्ञापन या मुनाफे के लिए बिना अनुमति इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध होता है। दूसरी है ‘राइट टू प्राइवेसी’, जो उनके निजी जीवन में दखल, डीपफेक, मॉर्फ्ड कंटेंट, फर्जी एंडोर्समेंट या भ्रामक सामग्री से सुरक्षा प्रदान करती है।

एआई-आधारित डीपफेक और जनरेटेड कंटेंट के बढ़ते इस्तेमाल के कारण पर्सनैलिटी राइट्स का महत्व पहले से अधिक बढ़ गया है। शिल्पा शेट्टी का यह कानूनी कदम न केवल उनकी निजी पहचान की सुरक्षा का प्रयास है, बल्कि ऐसे कंटेंट के खिलाफ एक बड़ा संदेश भी है, जो किसी के नाम और चेहरे का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। डिजिटल दुनिया में यह मुद्दा आने वाले समय में और भी गंभीर रूप ले सकता है, इसलिए सेलिब्रिटीज़ की कानूनी जागरूकता और सक्रियता अब मनोरंजन उद्योग का एक अनिवार्य हिस्सा बनती जा रही है।

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