गुवाहाटी टेस्ट में टीम इंडिया को 408 रन की करारी हार झेलनी पड़ी और इसके साथ ही साउथ अफ्रीका ने दो मैचों की टेस्ट सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली। यह नतीजा इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि मेहमान टीम ने 25 साल बाद भारत को उसके घरेलू मैदान पर क्लीन स्वीप किया है। आखिरी बार यह सिलसिला वर्ष 2000 में देखने को मिला था। पूरी सीरीज के दौरान जिस कप्तान को जसप्रीत बुमराह ने ‘बौना’ करार दिया था, उसी टेम्बा बावुमा की टीम ने भारत को दो मैचों में पूरी तरह मात दी और अपना अजेय रिकॉर्ड कायम रखा।
बरसापारा स्टेडियम में मिली इस हार की कहानी एकतरफा रही। 549 रन का विशाल लक्ष्य चेज़ करने उतरी भारतीय टीम मात्र 140 पर ढेर हो गई। दूसरी पारी में रवींद्र जडेजा के 54 रनों के अलावा कोई भी बल्लेबाज टिक नहीं पाया। साउथ अफ्रीका के स्पिनर साइमन हार्मर ने भारतीय बल्लेबाजों को लगातार परेशान किया और 6 विकेट लेकर मैच को ही नहीं, पूरी सीरीज को मोड़ देने में अहम भूमिका निभाई। इससे पहले चौथे दिन मेहमान टीम अपनी दूसरी पारी 260/5 पर घोषित कर चुकी थी, जिसके कारण भारत के सामने असंभव सा लक्ष्य खड़ा हो गया।
यह हार भारत के टेस्ट इतिहास में रनों के लिहाज़ से सबसे बड़ी हार बन गई है। इससे पहले 2004 में नागपुर में ऑस्ट्रेलिया ने 342 रन से भारत को हराया था। लेकिन गुवाहाटी में मिली 408 रन की हार ने इस रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। यह हार इसलिए भी चिंता बढ़ाती है क्योंकि पिछले डेढ़ साल में भारत दो घरेलू टेस्ट सीरीज गंवा चुका है। 2024 में न्यूजीलैंड ने 3-0 से भारत को हराकर 12 साल पुराने उसके घरेलू दबदबे को तोड़ा था, और अब साउथ अफ्रीका ने उसी कमजोरी को दोहराया।
साउथ अफ्रीका की जीत के हीरो कई रहे, लेकिन सबसे आगे साइमन हार्मर और मार्को यानसन रहे। हार्मर को शानदार गेंदबाजी के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। उन्होंने दो मैचों में 17 विकेट झटके और भारतीय बल्लेबाजों को बार-बार मुश्किल में डाला। दूसरी तरफ मार्को यानसन प्लेयर ऑफ द मैच बने। उन्होंने पहली पारी में 93 रन बनाए और 6 विकेट लेकर भारत की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया। यानसन ने मैच की दूसरी पारी में भी एक विकेट अपने नाम किया।
इस जीत के साथ टेम्बा बावुमा ने अपना कप्तानी रिकॉर्ड भी और मजबूत कर लिया। उनकी कप्तानी में साउथ अफ्रीका अब तक एक भी टेस्ट मैच नहीं हारा है। बावुमा ने कुल 12 टेस्ट में कप्तानी की है—12 में जीत और एक मैच ड्रॉ रहा है। इसी आत्मविश्वास के दम पर साउथ अफ्रीका ने भारत में आकर वह किया, जो दुनिया की बड़ी टीमें करने में नाकाम रहीं।
भारतीय टीम के लिए यह हार वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) रैंकिंग में भी झटका लेकर आई। भारत चौथे स्थान से खिसककर पांचवें स्थान पर चला गया है और उसका जीत प्रतिशत अब 48.150 रह गया है। वहीं साउथ अफ्रीका ने अपनी दूसरी पोजिशन बरकरार रखी है।
मैच के दौरान ऐडन मार्करम का प्रदर्शन भी शानदार रहा। उन्होंने दोनों पारियों को मिलाकर कुल 9 कैच पकड़े और एक टेस्ट में सबसे ज्यादा कैच लेने वाले साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी बन गए। दूसरी ओर भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी पहली पारी से ही साफ दिख गई थी। 201 पर सिमटने के बाद टीम मैच में वापस नहीं आ सकी। वॉशिंगटन सुंदर और कुलदीप यादव की साझेदारी ने स्कोर को संभालने की कोशिश की, लेकिन बढ़त इतनी ज्यादा थी कि मुकाबला दूर होता चला गया।
साउथ अफ्रीकी कोच शुकरी कोनराड ने मैच के दौरान कहा था कि वह चाहते थे कि उनकी टीम भारत को ‘घुटनों पर रेंगने’ पर मजबूर कर दे और गुवाहाटी में नतीजा लगभग वैसा ही रहा। साउथ अफ्रीका ने बल्ले और गेंद दोनों में भारत को दबाव में रखा और पूरे मैच में भारतीय टीम को कोई मौका नहीं दिया।
यह हार निश्चित रूप से भारतीय क्रिकेट के सोचने का समय लेकर आई है। घरेलू परिस्थितियों में लगातार हार, मौके गंवाना, और रणनीति की कमी ने टीम के आत्मविश्वास को कमजोर किया है। अब सवाल यह है कि आने वाले मुकाबलों में भारत अपनी पुरानी साख कैसे वापस हासिल करेगा और क्या टीम अपनी कमियों से सबक लेकर अगले चैलेंज के लिए तैयार होगी।