छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में एक मासूम बच्चे के साथ की गई अमानवीय सजा ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। हंस वाहिनी विद्या मंदिर, नारायणपुर आमापारा के इस छोटे से निजी स्कूल में शिक्षिकाओं ने नर्सरी के बच्चे को होमवर्क न करने की सजा के तौर पर पेड़ पर कपड़े और रस्सी के सहारे लटका दिया, और वह बच्चा उसी हालत में घंटों झूलता रहा। इस घटना का वीडियो जैसे ही सामने आया, सामाजिक मीडिया पर आग की तरह फैल गया और अभिभावकों में गहरा आक्रोश उमड़ पड़ा।
वीडियो में मासूम की बेबसी साफ दिख रही है—न छोटने की क्षमता, न बचने का रास्ता, और सजा देने वालों में जरा भी संवेदना का लक्षण नहीं। घटना क्यों हुई, किसने आदेश दिया, किस मानसिकता से ऐसा किया गया—इसका जवाब स्कूल प्रबंधन के पास आज तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा स्कूल पर टूट पड़ा और बड़ी संख्या में लोग मौके पर इकट्ठा होकर विरोध जताने लगे। कई बच्चों ने आगे आकर यह भी आरोप लगाया कि संबंधित शिक्षिका पहले भी बच्चों को कुएं में लटकाने जैसी क्रूर हरकत कर चुकी है। यह आरोप पूरे मामले को और भी भयावह बनाता है।
अमानवीयता की यह तस्वीर जब बिलासपुर हाई कोर्ट तक पहुंची तो चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने स्वयं संज्ञान लेते हुए घटना को बेहद चिंताजनक बताया। अदालत ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए शिक्षा सचिव से 9 दिसंबर तक शपथपत्र की मांग की है, ताकि यह साफ हो सके कि प्रदेश में निजी स्कूलों की निगरानी आखिर किस स्तर पर ढीली पड़ रही है। कोर्ट की फटकार से शिक्षा विभाग में भी खलबली मच गई है।
स्कूल संचालक की सफाई और भी चौंकाने वाली थी। उन्होंने इस क्रूर सजा को मामूली बताकर कहा कि बच्चा पढ़ता नहीं था, इसलिए उसे डराने के लिए ऐसा किया गया। यह बयान इस बात का साफ संकेत है कि कई निजी स्कूलों में शिक्षा से ज्यादा डर, धमकी और शारीरिक दंड पर भरोसा किया जाता है। साथ ही यह भी सवाल उठता है कि बिना मूलभूत सुविधाओं और योग्य शिक्षकों के ऐसे स्कूलों को मान्यता मिल कैसे जाती है।
घटना के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने तत्काल जांच शुरू की और स्कूल की मान्यता रद्द कर दी। इतना ही नहीं, जांच में मानकों का पालन न करने वाले 32 निजी स्कूलों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश जारी किया गया। प्रशासन ने साफ संदेश दिया है कि बच्चों की सुरक्षा से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा, और अब ऐसे सभी स्कूलों की सख्त जांच की जाएगी जिनमें मानकों की अनदेखी की जा रही है।
सूरजपुर की यह घटना सिर्फ एक स्कूल की गलती नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर एक तीखा सवाल है। मासूमों के लिए बनाए गए शिक्षा के मंदिर में जब अमानवीयता पनपने लगे तो यह समाज के लिए चेतावनी है कि कहीं न कहीं व्यवस्था गहरी नींद में है, और अब उसे जगाने का वक्त आ चुका है।