हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों को 27 नवंबर को दो घंटे की महत्वपूर्ण असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA) ने अपनी लंबित मांगों को लेकर सुबह 9 से 11 बजे तक OPD सेवाएं बंद रखने का फैसला किया है। डॉक्टर पिछले कई दिनों से सरकार की नई भर्ती नीति और सेवा संरचना में देरी से नाराज हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुरुक्षेत्र दौरे को देखते हुए एसोसिएशन ने हड़ताल टाल दी थी, लेकिन राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद डॉक्टरों ने तय कर दिया कि इस बार हड़ताल ज़रूर होगी।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने स्पष्ट किया कि हड़ताल पूरी तरह से नहीं होगी। आपातकालीन सेवाएं, प्रसव कक्ष, क्रिटिकल ऑपरेशन जैसी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएँ पहले की तरह जारी रहेंगी ताकि गंभीर मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो। हालांकि नियमित OPD सेवाएँ दो घंटे के लिए पूरी तरह स्थगित रहेंगी और डॉक्टर पेन-डाउन रखेंगे।
हड़ताल की सबसे बड़ी वजह सरकार की वह योजना है जिसके तहत वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (SMO) के पदों पर सीधी भर्ती प्रस्तावित है। डॉक्टरों का कहना है कि 2012 के बाद से SMO की डायरेक्ट भर्ती नहीं हुई, और अब अचानक भर्ती खोलने से मौजूदा डॉक्टरों के प्रमोशन के रास्ते बंद हो जाएंगे। एसोसिएशन ने याद दिलाया कि 3 जून 2021 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने लिखित रूप से निर्देश दिया था कि SMO की सीधी भर्ती नहीं की जाएगी और प्रमोशन को ही आधार बनाया जाएगा। डॉक्टरों की मांग है कि इस पुराने आदेश को तत्काल लागू किया जाए।
डॉक्टरों की दूसरी बड़ी शिकायत संशोधित ACP यानी Assured Career Progression संरचना को लेकर है। राज्य कोषाध्यक्ष डॉ. दीपक गोयल के अनुसार मुख्यमंत्री ने नए एसीपी ढांचे को मंजूरी दे दी है, लेकिन यह अब तक वित्त विभाग में अटका हुआ है। यदि इसे लागू किया जाता है, तो डॉक्टरों का वेतनमान ₹8,700 से बढ़कर ₹9,500 हो जाएगा। डॉ. गोयल ने कहा कि मौजूदा स्थिति में एक सिविल सर्जन को भी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से कम वेतन मिलता है और यह असमानता दूर होना जरूरी है।
एसोसिएशन का कहना है कि वे अपनी समस्याओं को कई बैठकों में उठा चुके हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक से बातचीत के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से भी मुलाकात का समय मांगा है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार जल्द उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लेती, तो आंदोलन को और तीखा किया जा सकता है।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर लाखों मरीजों के लिए यह हड़ताल संभवतः केवल दो घंटे की हो, लेकिन इसकी गूंज पूरे हेल्थ सिस्टम में सुनाई दे रही है। अब निगाहें सरकार और डॉक्टरों की अगली बातचीत पर टिकी हैं।