भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच होने वाले दूसरे वनडे से ठीक पहले टीम इंडिया के कैंप में हलचल तेज हो गई है। बीसीसीआई ने अचानक एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर साफ कर दिया है कि हाल के दिनों में टीम के भीतर और बाहर जो अस्थिरता दिखाई दी है, उस पर अब सीधा हस्तक्षेप जरूरी हो चुका है। यह बैठक मैच वाले दिन बुधवार को ही रखी गई है, जिससे इसकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस अहम बातचीत में मुख्य कोच गौतम गंभीर, चीफ सेलेक्टर अजित अगरकर, बोर्ड सचिव देवजीत सैकिया और संयुक्त सचिव प्रभतेज सिंह भाटिया मौजूद रहेंगे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि अध्यक्ष मिथुन मनहास इसमें शामिल होंगे या नहीं, लेकिन इतना तय है कि यह बैठक सिर्फ अधिकारियों और मैनेजमेंट के दायरे में होगी—विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी इसमें हिस्सा नहीं लेंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मीटिंग टीम सेलेक्शन में स्थिरता लाने, रणनीति को फिर से स्पष्ट करने और आने वाले महीनों के लिए एक एकसमान दिशा तय करने के लिए बुलाई गई है। खासतौर पर हाल ही में समाप्त हुई घरेलू टेस्ट सीरीज में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मिली अप्रत्याशित हार ने बोर्ड को चिंतित कर दिया है। मैदान के अंदर और बाहर टीम की रणनीति कई बार उलझी हुई लगी, जिसने मैनेजमेंट की सोच पर सवाल उठाए। एक वरिष्ठ बोर्ड अधिकारी ने साफ कहा कि भारत में खेले गए टेस्ट सीजन में कई मौकों पर स्पष्टता की कमी दिखाई दी और बोर्ड चाहता है कि आने वाले समय में टीम की योजना बिल्कुल साफ और एकरूप हो, खासकर क्योंकि अगली टेस्ट सीरीज में अभी आठ महीने का समय है।
इस बैठक में गंभीर और अगरकर के सामने अगले साल होने वाले T20 विश्व कप और उसके बाद आने वाले वनडे विश्व कप को भी प्रमुख मुद्दे के तौर पर रखा जाएगा। भारतीय टीम डिफेंडिंग चैंपियन है और बोर्ड नहीं चाहता कि रणनीतिक असहमति या मैनेजमेंट के भीतर की खींचतान आने वाली बड़ी चुनौतियों को प्रभावित करे। यह बैठक इस बात की तरफ भी इशारा करती है कि हाल के महीनों में मैनेजमेंट और सीनियर खिलाड़ियों के बीच संवाद का गैप गहरा हुआ है, जिसे बोर्ड तुरंत कम करना चाहता है।
काफी समय से विराट कोहली और रोहित शर्मा के भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हैं, जबकि दोनों ही खिलाड़ी शानदार फॉर्म में लौट चुके हैं। कोहली के टेस्ट से संन्यास लेने की चर्चाओं को उन्होंने हाल ही में रांची के वनडे के बाद खुद खारिज किया, लेकिन यह बहस अभी खत्म नहीं हुई है। इन परिस्थितियों ने भी यह सवाल खड़ा कर दिया है कि टीम मैनेजमेंट और दिग्गज खिलाड़ियों के बीच बातचीत कितनी पारदर्शी है।
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार असली टकराव चयन नीति और निर्णय लेने की प्रक्रिया को लेकर है। बोर्ड चाहता है कि चयन समिति और टीम मैनेजमेंट के बीच सोच और दिशा में एकरूपता हो, क्योंकि आने वाला समय भारतीय क्रिकेट के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। यह बैठक न सिर्फ मौजूदा विवादों को शांत करने का प्रयास है, बल्कि अगले कुछ महीनों में भारतीय क्रिकेट की दिशा तय करने वाली महत्वपूर्ण कवायद भी है।