रात में गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों के लिए तेज़ और चुभती हुई हेडलाइट्स अब रोज़मर्रा की परेशानी बन चुकी हैं। पहले के समय में वाहनों की हेडलाइटें हल्की पीली रोशनी देती थीं, जो आंखों को आराम देती थी और सड़क को भी संतुलित उजाला प्रदान करती थी। लेकिन LED और लेज़र तकनीक के आने से हेडलाइट्स बेहद तेज़ और सफेद-नीली चमक वाली हो गई हैं। यह रोशनी एक तरफ तो ड्राइवर को सड़क बेहतर दिखाती है, मगर सामने से आने वाले वाहन का चालक कुछ सेकंड के लिए अंधेपन जैसा महसूस करता है, जिससे दुर्घटना का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
नई तकनीक ने जहां कारों को मॉडर्न और आकर्षक बना दिया है, वहीं इसके साथ कई नई दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। LED और लेज़र हेडलाइट्स ऊर्जा बचाती हैं और कम बिजली में अधिक उजाला देती हैं, इसलिए कंपनियां इन्हें तेजी से लागू कर रही हैं। मगर खास समस्या बड़ी SUVs और पिकअप ट्रकों वाली गाड़ियों में देखी जाती है, जिनकी ऊंचाई के कारण रोशनी सीधे सामने वाले ड्राइवर की आंखों में पड़ती है। मौसम बिगड़ने पर—खासकर बारिश, धुंध या कोहरे में—यह चमक सड़क और साइनबोर्ड से टकराकर और अधिक तेज़ हो जाती है, जिससे पूरी दृश्यता प्रभावित होती है।
यह समस्या किसी एक शहर, राज्य या देश की नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर दर्ज की जा रही है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर ड्राइवर रात की ड्राइव को अब तनावपूर्ण और थका देने वाला अनुभव बता रहे हैं। आंखों पर लगातार पड़ने वाला तीखा प्रकाश दृष्टि पर दबाव डालता है और सुरक्षित ड्राइविंग लगभग चुनौती बन जाती है। कई लोगों ने यह भी कहा है कि हाई-बीम का अनियंत्रित प्रयोग सड़क सुरक्षा को लगातार जोखिमभरा बना रहा है।
फिर सवाल उठता है—क्या समाधान मौजूद है? अच्छी बात यह है कि तकनीक इसका जवाब दे चुकी है। यूरोप में एडैप्टिव हेडलाइट्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ये स्मार्ट हेडलाइट्स सामने आने वाली गाड़ी को खुद पहचान लेती हैं और तुरंत अपनी बीम को कम कर देती हैं या फिर रोशनी को इस तरह मोड़ देती हैं कि सामने वाले ड्राइवर को कोई चकाचौंध न हो। रोशनी भी सही मिलती है और किसी की आंखों को नुकसान भी नहीं पहुंचता। भारत में यह तकनीक अभी बहुत सीमित स्तर पर दिखाई देती है, लेकिन भविष्य में इसके आने की संभावना मजबूत है।
जब तक ऐसी एडवांस तकनीक भारत के वाहनों में बड़े पैमाने पर नहीं आती, तब तक ड्राइवरों को खुद भी कुछ सरल आदतें बदलनी होंगी। हेडलाइट की सही सेटिंग और एलाइन्मेंट कराते रहना, हेडलैंप का लेंस साफ रखना और हाई-बीम का उपयोग सिर्फ आवश्यकता होने पर करना, सड़क पर सभी की सुरक्षा बढ़ा सकता है। सड़क पर संवेदनशीलता हमेशा तकनीक से ऊपर होती है। अगर कोई सामने से हाई-बीम कम करने का संकेत देता है तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए, क्योंकि छोटी-सी सावधानी कई संभावित दुर्घटनाओं को टाल सकती है।
रात की ड्राइविंग सभी के लिए सुरक्षित तब बनेगी, जब हर व्यक्ति यह समझे कि उसकी हेडलाइट सिर्फ उसका वाहन नहीं, सामने वाले की आंखें और जीवन भी प्रभावित करती है।